यहां पर यह सवाल पैदा होता है कि जब पत्रकार ने सऊदी अरब के बारे में सवाल किया तो ट्रम्प ने सवाल का रुख़ दुनिया के अन्य देशों की ओर क्यों मोड़ दिया, यहां पर यह बात समझ में आती है कि इस्राईल- यूएई समझौते से सऊदी अरब के जुड़ने पर मुहर लग चुकी है लेकिन इसकी घोषणा कब होगी यह अन्य मुस्लिम देशों के शामिल होने पर निर्भर है।
बुधवार को सऊदी अरब के विदेशमंत्री ने अपने जर्मन समकक्ष के साथ एक प्रेस कांफ़्रेंस में संयुक्त अरब इमारात के शर्मनाक फ़ैसले का स्वागत किया और उन्होंने बहुत ही सावधानी कहा कि उनका देश 2002 की अरब शांति योजना पर प्रतिबद्ध है।
उनके इस धोखे वाले बयान से यह अर्थ निकाला जा सकता है कि बहुत से अरब देश इस्राईल-यूएई के संबंधों का स्वागत करते हें और उससे जुड़ने के प्रयास में हैं। यहां पर सऊदी विदेशमंत्री यह बताना चाह रहे हैं कि अरब देश इस्राईल के बारे में अपनी पुरानी नीतियों पर पुनर्विचार कर रहे हैं और ऐसे में सऊदी अरब पर कोई आरोप नहीं लगना चाहिए।
वर्तमान हालात में सऊदी अरब के क्षेत्रीय पिट्ठु, इस्राईल और संयुक्त अरब इमारात के बीच होने वाले समझौते का स्वागत करने वालों में सबसे आगे हैं। मौक़े पर छक्का लगाते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने इस्राईल से हाथ मिलाने की यूएई की कार्यवाही पर ख़ुशी मनाते हुए कहा कि संयुक्त अरब इमारात को एफ़-35 विमान बेचने की समीक्षा कर रहा है।
ऐसा महसूस हो रहा है कि सऊदी अरब और इस्राईल के संबंधों को उजागर करने के लिए भूमिका तैयार की जा रही है और यह एलान कभी भी किया जा सकता है।