डेली बीस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक़, मंगलवार को बेरूत में व्यापक तबाही मचाने वाले धमाके के बाद, सऊदी अरब ने हिज़्बुल्लाह को बदमान करने का भरपूर प्रयास किया।
ग़ौरतलब है कि बेरूत बंदरगाह के गोदामों में पिछले 6 साल से रखे 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट में धमाका हुआ था, जिसमें कम से कम 158 लोगों की मौत हो गई थी और 6,000 से भी ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हुए थे।
इस भयानक त्रासदी के तुरंत बाद, सऊदी अरब से जुड़े प्रभावशाली ट्वीटर हैंडल से इस धमाके में एक बड़ी साज़िश का दबाकर प्रचार किया जाने लगा और हैशटैग " Hezbollah’s Ammonia Burns Beirut" ट्रैंड करने लगा।
वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक़, धमाके के सिर्फ़ 48 घंटों के बाद, इस अभियान के तहत 9,870 अकाउंट से झूठ फैलाया गया।
अमरीकी वेबसाइट ने दोहा स्थित हमद बिन ख़लीफ़ा विश्वविद्यालय में मध्य पूर्व अध्ययन के सहायक प्रोफ़ेसर मार्क ओवेन जोन्स के हवाले से लिखाः यह झूठ सऊदी से फैलाया गया, जिसका मक़सद हिज़्बुल्लाह के ख़िलाफ़ माहौल तैयार करना था।
उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर बिना निंयत्रण के वे नंगा नाच, नाच रहे हैं, उन्होंने एक इको सिस्टम तैयार कर लिया है।
डेली बीस्ट का कहना है कि इस प्रोपैगंडे का मक़सद, देश की जनता को यह समझाना है कि हिज़्बुल्लाह एक आतंकवादी संगठन है।
ग़ौरतलब है कि दक्षिण लेबनान को इस्राईल के क़ब्ज़े से आज़ाद कराने वाले इस इस्लामी आंदोलन ने सन् 2000 के बाद ख़ुद को लेबनान के रक्षात्मक ढांचे का अभिन्न अंग बना लिया है और यह इस्राईल के हमलों के ख़िलाफ़ पहाड़ बनकर खड़ा हुआ है।
हिज़्बुल्लाह लेबनानी संसद और सरकार का हिस्सा है और उसने बेरूत धमाके के बाद, राष्ट्रीय एकता की सराहना की और इस पर बल दिया।