धमाके के कुछ क्षणों बाद मीडिया ने ख़बर दी कि बैरूत की बंदरगाह के डिपो नंबर 12 में आग लग जाने के बाद धमाका हो गया जहां विस्फोटक पदार्थ रखा हुआ था।
इस घटना के बाद लेबनान में 14 मार्च फ़्रंट के नाम से मशहूर एलायंस ने शुरू से ही इस घटना का फ़ायदा उठाने की कोशिश की। कुछ जिम्मेदार समाचार पत्रों ने चेतावनी देना शुरू कर दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री रफ़ीक़ हरीरी की हत्या के बाद उपजे संकट की दोबारा पुनरावृत्ति की कोशिश शुरू हो गई है।
जबकि हिज्बुल्लाह आंदोलन ने घटना घटते ही राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया और बयान जारी करके सबको एकजुट रहने और त्रासदी के दुष्परिणामों का मिलकर मुक़ाबला करने की दावत दी।
बहुत से देशों ने लेबनान की मदद का वादा किया जबकि ईरान के रेड क्रीसेंट विभाग की मानवता प्रेमी सहायता की पहली खेप तत्काल बैरूत पहुंच गई। ईरान के सभी वरिष्ठ अधिकारियों और ख़ुद सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने कहा कि इस दर्द में हम लेबानानी भाइयों के साथ शामिल हैं।
यमन, सीरिया, इराक़, क़तर, रूस, अमरीका सहित अनेक देशों ने कहा कि हम मदद के लिए तैयार हैं।
जहां लेबनान इस संकट से जूझ रहा है वहीं इस्राईल अपनी घटिया हरकतों में लगा हुआ है। इस्राईल ने 24 घंटे के भीतर 22 बार लेबनान की वायु सीमा का उल्लंघन किया।
अमरीका के रक्षा मंत्री ने कहा कि हम अभी इस घटना से जुड़ी जानकारियां एकत्रित करने में व्यस्त हैं।
लेबनान की सरकार ने यह फ़ैसला किया है कि बंदरगाह के सारे अधिकारियों को नज़रबंद रखा जाएगा और उस समय तक वह अपने घरों से बाहर नहीं जा सकेंगे जब तक जांच का काम पूरा नहीं हो जाता। लेबनान के गृह मंत्री मुहम्मद फ़ह्मी और प्रधानमंत्री हस्सान दियाब ने कहा कि दोषी अधिकारियों को सज़ा ज़रूर दी जाएगी।
जिस धड़े को 14 मार्च फ़्रंट कहा जाता है उससे जुड़े मीडिया ने पहले तो यह झूठ फैलाने की कोशिश की कि धमाका हिज़्बुल्लाह के किसी शस्त्रागार में हुआ है लेकिन जब हक़ीक़त सामने आ गई कि यह वह भंडार है जो पिछले 7 साल से बैरूत की बंदरगाह पर रखा है और इस बीच तीन प्रधानमंत्रियों ने सत्ता की बागडोर संभाली और सत्ता से हट गए मगर इस ख़तरनाक भंडार के बारे में कोई उचित उपाय नहीं किया गया तो अब यह धड़ा ज़ोर दे रहा है कि इस घटना की अंतर्राष्ट्रीय जांच होनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय जांच कराने का मतलब यह है कि अमरीका और इस्राईल सहित उन ताक़तों को लेबनान में अपनी मनमानी करने का मौक़ा मिल जाए जो हिज़्बुल्लाह को कमज़ोर करने की कोशिश में हैं।
इस समय फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रां बैरूत की यात्रा पर जा रहे हैं। इस यात्रा को शक की नज़र से इसलिए देखा जा रहा है कि लेबनान को संकट में ढकेलने की कोशिश में फ़्रांस भी आगे आगे है।