दमिश्क़ हवाई अड्डे के पास हिज़्बुल्लाह के ठिकाने पर इस्राईल के हमले की कई आयाम से समीक्षा की जा सकती है। कुछ लोगों का कहना है कि यह इस्राईल के ग़लत हिसाब किताब का परिणाम है और उनका यह कहना है कि इस्राईल को अंदाज़ा नहीं था कि इस कार्यवाही से हिज़्बुल्लाह को नुक़सान पहुंचेगा।
कुछ अन्य टीकाकारों का कहना है कि इस्राईल ने हिज़्बुल्लाह के ठिकाने पर हमला करके यह देखने की कोशिश की कि हिज़्बुल्लाह क्या कर सकता है और वह लेबनान की विषम आर्थिक स्थिति में हिज़्बुल्लाह को आज़माना चाहता था कि इतने कठिन दबाव के बावजूद हिज़्बुल्लाह का क्या जवाब होगा?
टीकाकारों के एक अन्य गुट का यह कहना है कि यह हमला जानबूझकर किया गया और इसका अर्थ यह है कि इस्राईल ने अपनी रणनीति बदल दी है। इन लोगों का यह कहना है कि इस्राईल, ग़ज़्ज़ा को तकनीकी ख़तरा, हिज़्बुल्लाह को रणनैतिक ख़तरा और ईरान को अपने अस्तित्व के लिए ख़तरे के रूप में देखता और उसने हर तरह की जवाबी कार्यवाही से बेपरवाह होकर यह हमला किया और इसका पहला मक़सद प्रतिरोध को जानी नुक़सान पहुंचाना था।
इन टीकाकारों का कहना है कि इस्राईल इस हमले से यह संदेश देना चाहता है कि सीरिया से ईरान और प्रतिरोध के मोर्चे को दूर करने के लिए वह किसी भी प्रकार की रेड लाइन को नहीं मानता।
इस दृष्टिकोण का अर्थ यह है कि यदि प्रतिरोध और ईरान, सीरिया में बाक़ी रहना चाहता है कि तो उसे इसकी क़ीमत अदा करनी होगी। यहां पर इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि हिज़्बुल्लाह के बयान ने कि कमान्डर अली मोहसिन कामिल की शहादत का बदला ज़रूर लिया जाएगा, इस्राईल को तिल तिल मरने पर मजबूर कर दिया। बयान से यह नतीजा निकाला जा सकता है कि जवाबी कार्यवाही अवश्य होगी और हिज़्बुल्लाह की रणनीति में कोई बदलाव नहीं होगा।
हिज़्बुल्लाह के बयान से बौखलाए इस्राईल ने शबआ और कफ़रशू फ़ार्म्ज़ पर हमले का ड्रामा रखा ताकि राजनैतिक लक्ष्य प्राप्त कर सके। इस्राईल इस हमले से जनमत को काल्पनिक युद्ध की ओर ले जाना चाहता था कि हिज़्बुल्लाह ने अपने वादे पर अमल करते हुए बदले की कार्यवाही की लेकिन इस्राईली ड्रामा ख़त्म हो गया।
दूसरी बात यह है कि हिज़्बुल्लाह की जवाबी कार्याही से भयभीत इस्राईल ने सीमा पर अलर्ट अपने सैनिकों को वहां से हटा लिया और यह संदेश देने की कोशिश की कि हिज़्बुल्लाह के पास जवाबी कार्यवाही की ताक़त नहीं है और इस्राईल अपने मक़सद में कामयाब रहा।
इस्राईल के ड्रामे के बाद हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करके कहा कि इस्राईल की ओर से लेबनानियों के घरों को तबाह किए जाने के ड्रामे का भी जवाब दिया जाएगा और इस बयान ने यह सिद्ध कर दिया कि हिज़्बुल्लाह की जवाबी कार्यवाही पूरी तरह गंभीर है और यह समय और उचित माहौल पर निर्भर करती है।
शबआ और कफ़रशू फ़ार्म्ज़ में इस्राईल ने ड्रामे के दौरान तोप से 600 गोले फ़ायर किए और इसी तरह वार रूम की बैठक आयोजित की और साथी ही सीमा पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी ताकि हिज़्बुल्लाह के संभावित हमले को रोक सके।
हिज़्बुल्लाह के बयान पर ग़ौर करने से यह पता चलता है कि हिज़्बुल्लाह जवाबी कार्यावाही में कभी भी जल्दबाज़ी नहीं करता और उसका जवाबी हमला बहुत सटीक होता है, अब यह देखना है कि हिज़्बुल्लाह अपने कमान्डर की शहादत और लेबनानी जनता के घरों की बर्बादी का बदला कब लेता है, यह आने वाला समय ही बताएगा।