हिज़्बुल्लाह ने एक बयान जारी करके इस्राईली अधिकारियों की सारी कहानियों का खंडन कर दिया मगर इसी बयान में यह भी साफ़ कर दिया कि दमिश्क़ एयरपोर्ट के क़रीब इस्राईली हमले में शहीद होने वाले हिज़्बुल्लाह के कमांडर अली कामिल मोहसिन का इंतेक़ाम ज़रूर लिया जाएगा।
इस्राईल कहता है कि हिज़्बुल्लाह की एक टीम ने चुपके से सीमा पर की थी तो सवाल यह है कि उस पर इस्राईली सैनिकों ने हमला क्यों नहीं किया। वहां हमला करने के बजाए शबआ के इलाक़े में पहाड़ियों पर क्यों हमला किया जिससे केवल एक ख़ाली घर को छोड़ा सा नुक़सान पहुंचा?
जवाब साफ़ है कि इस्राईल बहुत बुरी तरह डरा हुआ है और हिज़्बुल्लाह के साथ किसी जंग में नहीं पड़ना चाहता ख़ास तौर पर इस समय जब इस्राईली प्रधानमंत्री नेतनयाहू तीन बड़े संकटों में डूबते जा रहे हैं। एक संकट कोरोना महामारी से निपटने में भारी नाकामी है, दूसरा संकट सरकार के भीतर पाया जाने वाला गहरा विभाजन है जिसके कारण सड़कों पर दसियों हज़ार की संख्या में प्रदर्शनकारी उतर पड़े और नेतनयाहू के त्यागपत्र की मांग कर रहे हैं। तीसरा संकट उनका व्यक्तिगत संकट है। यह आर्थिक भ्रष्टाचार का मामला है जिसकी वजह से जेल की सलाखें उनका इंतेज़ार कर रही हैं।
अब तक जो हुआ है उससे साबित हो गया कि मनोवैज्ञानिक युद्ध में भी हिज़्बुल्लाह ने महारत हासिल कर ली है बल्कि कहना चाहिए कि हिज़्बुल्लाह के पास इस जंग की भी एकेडमी है जहां से बड़े बड़े विशेषज्ञ निकल रहे हैं और दूसरे देशों में भी जाकर अपनी महारत का लोहा मनवा रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक युद्ध में इस लिए हिज़्बुल्लाह को विजयी कहना होगा क्योंकि कमांडर की शहादत का बदला लेने के उसके एलान भर से पूरा इस्राईल सहम गया और इस्राईली नेतृत्व ने संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति फ़ोर्स के माध्यम से हिज़्बुल्लाह को भेजे गए संदेश में माफ़ी मांगी और कहा कि उसे यह नहीं पता था कि दमिश्क़ में जिस जगह उसने हमला किया है वहां हिज़्बुल्लाह के जवान मौजूद थे।
सवाल यह है कि हिज़्बुल्लाह अपने कमांडर अली कामिल मोहसिन का इंतेक़ाम कब, कहां और कैसे लेगा? क्योंकि बयान में तो हिज़्बुल्लाह ने साफ़ कर दिया है कि इंतेक़ाम ज़रूर लिया जाएगा। हिज़्बुल्लाह की एक ख़ास पहिचान है कि वह जल्दबाज़ी में नहीं पड़ता बल्कि भरपूर संयम से काम करता है। इस बीच पूरे समय में इस्राईल में भय और ख़ौफ़ छाया रहेगा।
अली कामिल मोहसिन को सीरिया की धरती पर शहीद किया गया तो हो सकता है कि इंतेक़ाम का हमला भी वहीं से किया जाए या हो सकता है कि हिज़्बुल्लाह बिल्कुल अलग ही जगह पर अपना इंतेक़ाम ले। बदला ज़रूर लिया जाएगा इसमें कोई संदेह नहीं है। बदला हिज़्बुल्लाह के शहीदों का भी लिया जाएगा, जनरल क़ासिम सुलैमानी का भी लिया जाएगा लेकिन कब और कहां यह बाद में पता चलेगा।
अब्दुल बारी अतवान