AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
बुधवार

8 जुलाई 2020

1:50:59 pm
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वाशिंग्टन और दो राजकुमार...बिन सलमान के बारे में क्या सोचता है अमरीका? वाशिंग्टन के चहेते रह चुके बिन नाएफ़ के सिर पर क्या ख़तरा मंडरा रहा है? बाइडन राष्ट्रपति बन गए तो क्या होगा?

मुहम्मद बिन सलमान ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस का पद हासिल करने के लिए वाशिंग्टन को कई संदेश भेजे और बड़ी मेहनत से मुहम्मद बिन नाएफ़ को इस पद से हटवाया जो अमरीका के चहेते थे और जिनके हाथ में बहुत महत्वपूर्ण मामले रहा करते थे और अमरीकी सत्ता के गलियारों से जिनके क़रीबी संबंध थे।

मुहम्मद बिन सलमान ने वाशिंग्टन को जो संदेश भेजे उनके लिए उन्होंने अमरीका के बड़े अख़बारों में लिखने वाले टीकाकारों और पत्रकारों की मेज़बानी की।

वाशिंग्टन में सऊदी दूतावास ने बिन सलमान की मुलाक़ात न्यूयार्क टाइम्ज़ में लिखने वाले बड़े पत्रकार थामस फ़्रेडमैन से करवाई इसी तरह वाशिंग्टन पोस्ट में लिखने वाले डेविड इगनाशियस से भी मुलाक़ात हुई। सऊदी अरब में बिन सलमान के महल में होने वाली इस मुलाक़ात के बाद जब दोनों टीकाकार अमरीका लौटे तो उन्होंने बिन सलमान की तारीफ़ों के पुल बांध दिए। उन्होंने यह कहना शुरू कर दिया कि युवा राजकुमार अपने देश में बुनियादी सुधार करने का इरादा रखता है।

अप्रैल 2017 में डेविड इगनाशियस ने लेख लिखा कि क्या युवा राजकुमार के लिए अपने देश का ढांचा बदल पाना संभव होगा? क्या वह अपना सपना पूरा कर पाएंगे?

इसके दो महीने के भीतर बिन सलमान ने मुहम्मद बिन नाएफ़ को क्राउन प्रिंस के पद से हटा दिया और ख़ुद यह पद संभाल लिया।

मगर यमन में जब भीषण मानव त्रासदी पैदा हो गई तो फिर युवा राजकुमार के बारे में अमरीकी लेखकों की सोच बदलने लगी। इसके अलावा देश के भीतर और बाहर विरोधियों के बेदर्दी से सफ़ाए की प्रक्रिया ने सबको गहरी चिंता में डाल दिया।

अब स्थिति यह है कि हाल ही में डेविड इगनाशियस ने वाशिंग्टन पोस्ट में एक लंबा लेख लिखा जिसमें पूर्व क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन नाएफ़ के उत्थान और फिर पतन के के पूरे सफ़र का जायज़ा लिया। इस लेख में कहा गया है कि बिन नाएफ़ को गंभीर मुक़द्दमों में फंसाया जा सकता है।

वाशिंग्टन की सरकारी संस्थाए मुहम्मद बिन नाएफ़ को बहुत अच्छी तरह जानती हैं क्योंकि 11 सितम्बर के हमलों के बाद अलक़ायदा को ख़त्म करने के लिए बिन नाएफ़ ने अभियान संभाला था और उन्हें सीआईए सहित अमरीकी इंटैलीजेन्स एजेंसियों का भरपूर सहयोग मिल रहा था।

मुहम्मद बिन सलमान की बात की जाए तो वाशिंग्टन में सत्ता के गलियारों को उनके बारे में 2015 में पता  चला जब वह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ के सऊदी नरेश बनने के बाद रक्षा मंत्री बन गए।

इसी साल के मध्य से बिन सलमान और बिन नाएफ़ के बीच ख़ामोश जंग शुरू हो गई और दोनों ने वाशिंग्टन में मौजूद संस्थाओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने की कोशिश तेज़ कर दी। उस समय सऊदी अरब के गृह मंत्रालय ने जो बिन नाएफ़ के नियंत्रण में था अमरीका के स्नोरन पालीसी ग्रुप से एक समझौता किया। यह अमरीकी संस्थाओं में पैठ बनाने में मदद करने वाली लाबी है।

मगर बिन नाएफ़ शायद तब तक मौक़ा गवां चुके थे क्योंकि बन सलमान इससे पहले ही अमरीका के भीतर अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो चुके थे। अमरीकी लाबी से सऊदी गृह मंत्रालय की डील होने के पांच हफ़्ते के भीतर बिन नाएफ़ को बर्खास्त कर दिया गया।

न्यूयार्क टाइम्ज़ ने बाद में एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें यह बताया गया कि सऊदी राजकुमार इस समय अमरीकी संस्थाओं में बड़ी मेहनत से लगे हुए हैं कि उन्हें बिन सलमान और उनकी दमनकारी नीतियों से निजात मिल जाए।

वरिष्ठ टीकाकार फ़्रीमैन ने अलजज़ीरा नेट से बातचीत में कहा कि इस बात का इंकार करना संभव नहीं है कि अमरीका, सऊदी अरब की सत्ता में बहुत गहरी भूमिका रखता है और बिन सलमान ट्रम्प प्रशासन को शीशे में उतारने और अपनी वफ़ादारी का यक़ीन दिलाने में कामयाब हो गए। मगर सीआईए के पूर्व अधिकारी ब्रोस रीडल का कहना है कि अमरीकी प्रशासन सऊदी अरब में सत्ता की लड़ाई को दूर से देखता है इसमें हस्तक्षेप नहीं करता मगर ट्रम्प ने कई इशारे दिए जिनसे उन्होंने बिन सलमान को यह यक़ीन दिला दिया कि वह उनका साथ देंगे। मगर इस समय जिस अंदाज़ से बिन सलमान काम कर रहे हैं उसे देखते हुए मुझे बिन नाएफ़ की ज़िंदगी ख़तरे में नज़र आती है।

अब यह सवाल भी उठने लगा है कि अगर जो बाइडन राष्ट्रपति चुनाव जीत गए तो क्या होगा? बाइडन ट्रम्प की ओर से बिन सलमान के खुले समर्थन की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि ट्रम्प बिन सलमान के समर्थन के लिए वह बहाने खोज लेते हैं जिनका तथ्यों से कोई लेना देना नहीं है और यह चीज़ अमरीका को गंभीर रूप से नुक़सान पहुंचा सकती है।

टीकाकार फ्रीमैन का कहना है कि बिन सलमान ने जेयर्ड कुशनर सहित बहुत से अधिकारियों को अपने से क़रीब करने के लिए बहुत कुछ ख़र्च किया है और अगर बाइडन चुनाव जीत गए तो उनके सारे किए धरे पर पानी फिर जाएगा।

स्रोतः अलजज़ीरा