AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

6 जुलाई 2020

6:25:10 pm
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तकफ़ीरी मीडिया का जिन्न बोतल से बाहर हुआ, अब इराक़ियों का क्या जवाब होगा?

सऊदी अरब से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र अश्शर्क़ुल औसत द्वारा इराक़ के लोकप्रिय वरिष्ठ धर्मगुरु का अनादर किए जाने के बाद पूरी दुनिया में आक्रोश पैदा हो गया है विशेषकर इराक की धार्मिक और राजनैतिक हस्तियों और इराक़ के विभिन्न वर्गों ने इस पर आपनी आपत्ति जताई और देश में सऊदी दूतावास को बंद करने की मांग की।

इराक़ी जनता की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त किए जाने के बाद सऊदी समाचार पत्र ने स्पष्टीकरण दिया है कि इस कार्टून से आशय आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली सीस्तानी नहीं और समाचार पत्र ने उनका अपमान नहीं करना चाहा है बल्कि यह इराक़ में ईरान के हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ था। अब प्रश्न यह पैदा होता है कि वर्तमान संवेदनशील चरण में सऊदी अरब की मीडिया द्वारा किस लक्ष्य के अंतर्गत इराक़ की राष्ट्रीय और धार्मिक हस्तियों को निशाना बनाने की कोशिश की जा रही है।

वास्तविकता यह है कि सऊदी अरब का मीडिया विशेषकर सऊदी अरब के सैटैलाइट चैनल, वहां से चलने वाली वेबसाइटें और सोशल मीडिया वर्ष 2003 से ही एक विशेष लक्ष्य के अंतर्गत इराक़ की धार्मिक और पवित्र हस्तियों का अनादर और उनका अपमान कर रहा है और इन सबके पीछे तकफ़ीरियों का क्रूर चेहरा छिपा हुआ है। कभी यह कूटनयिक के वेष में आ जाता है और इराक़ पर अनेक प्रकार से दबाव डालने का प्रयास करता है लेकिन तकफ़ीरी इराक़ को झुकाने में सफल नहीं हो सके और न ही उसकी नीतियों को बदलने में कामयाब रहे और यही कारण है कि तकफ़ीरी अब भी इराक़ को एक शीया देश के रूप में देखते हैं और इसी विचारधारा की वजह से इराक़ को तबाह करने के लिए अलक़ायदा और दाइश ने अपनी पैठ बनाई थी।

वास्तविकता यह है कि सऊदी मीडिया नये इराक़ के बारे में इस कट्टरपंथी विचार को बिना किसी सेन्सर के पेश कर रहे हैं और यह कोई नई बात नहीं है बल्कि 2003 से ही प्रतिरोध का समर्थन करने की वजह से देश की राष्ट्रीय, धार्मिक और राजनैतिक हस्तियों को निशाना बनाया जाता रहा है।

यह वह सभी मीडिया हैं जो दाइश के आतंकियों को क्रांतिकारी और इराक़ के स्वयं सेवी बलों को जिन्होंने धार्मिक नेतृत्व के फ़त्वे के बाद दाइश के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया, छापामार और लगभग दो महीना पहले इराक़ी स्वयं सेवी बल के शहीद होने वाले डिप्टी कमान्डर जनरल अबू महदी अलमुहन्दिस को आतंकवाद बताते थे।  

इसी मध्य कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इस प्रकार के अपमानों और अनादरों पर लापरवाही की वजह से ही सऊदी मीडिया अधिक दुस्साहस हो गया है और वह इराक़ की धार्मिक और राजनैतिक हस्तियों को निरंतर निशाना बना रहा है।

इसीलिए शरक़ुल अवसत समाचार पत्र की ओर से इस प्रकार के कार्टून प्रकाशित किए जाने पर आश्चर्य नहीं करना चाहिए क्योंकि यह भी तकफ़ीरी वहाबी विचारों को फैलाने का एक साधन है किन्तु बुरी बात यह है कि यह संचार माध्यम अपनी इन बातों का औचित्य पेश करते हुए कहते हैं कि उनका मक़सद इराक़ के आंतरिक मामले में ईरान के हस्तक्षेप की ओर इशारा करना है, इसी चीज़ को कहते हैं पाप से बुरा औचित्य, क्योंकि इन कार्टूनों में से किसी एक करेक्टर का ईरान की ओर इशारा नहीं था, इसमें उस धर्मगुरु को दिखाया गया है जिनके बारे में सभी एकमत हैं कि वह इराक़ के वरिष्ठ धर्मगुरु ही हैं।

इस समाचार पत्र ने इराक़ी जनता ने माफ़ी नहीं मांगी और यही कारण है कि इराक़ की धार्मिक और राजनैतिक हस्तियों ने सरकार से मांग की है कि वह सऊदी अरब द्वारा इराक़ के निरंतर अनादर के लिए एक सीमा निर्धारित कर ले।