AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

29 जून 2020

12:56:12 pm
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अमरीकी राजदूत को लेबान की कड़ी चेतावनीः "अपनी औक़ात पहचानो"

लेबनान में अमरीका की राजदूत ने हाल ही में अपने एक बयान में दावा किया था कि लेबनान की सरकार, हिज़्बुल्लाह के कंट्रोल में है जिसकी वजह से इस देश की आर्थिक समस्याएं हल नहीं हो रही हैं।

लेबनान के मामलों में अमरीकी राजदूत के इस खुले हस्तक्षेप के तुरंत बाद इस देश की न्यायपालिका ने एक आदेश जारी करके उन्हें लेबनान को अस्थिर करने वाला कोई भी बयान देने से रोक दिया और कहा कि अगर इस तरह की बात दोहराई गई तो उन्हें बहुत भारी जुर्माना अदा करना होगा।

 

टीकाकारों का कहना है कि लेबनानी न्यायपालिका का यह आदेश, अमरीका की ढीट राजदूत के मुंह पर एक करारा थप्पड़ है जिन्होंने लेबनान के हिज़्बुल्लाह संगठन और इस्लामी प्रतिरोध को आतंकी बताया था। अमरीका लेबनान के क़ानूनों और कूटनैतिक सिद्धांतों की परवाह किए बिना इस देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहता है जिसका सबसे ताज़ा प्रमाण लेबनान के प्रतिरोध के ख़िलाफ़ शिया डोरोथी का बयान और इसी तरह लेबनान के रिज़र्व बैंक के प्रमुख की नियुक्ति में हस्तक्षप है। ट्रम्प के राष्ट्रपति काल में लेबनान में अमरीका के इस तरह का हस्तक्षेप बहुत बढ़ गया है और इसकी मुख्य वजह अमरीकी सरकार द्वारा इस्राईल की समर्थक ज़ायोनी लाॅबी की पाॅलीसियों को आगे बढ़ाना है।

 

अमरीका जानता है कि उसमें लेबनान के सियासी मंच से हिज़्बुल्लाह और इस्लामी प्रतिरोध को हटाने की ताक़त नहीं है और हिज़्बुल्लाह के बिना लेबनान में मंत्रीमंडल का कोई मतलब ही नहीं है लेकिन फिर भी उसने सीरिया से और इसी तरह लेबनान के मंत्रीमंडल से हिज़्बुल्लाह के बाहर निकलने को लेबनान की मदद की शर्त क़रार दिया है। वास्तविकता यह है कि लेबनान के सिलसिले में ट्रम्प की नीति इस देश की सरकार व जनता पर आर्थिक दबाव डालने की है ताकि लेबनान, हिज़्बुल्लाह को मंत्रीमंडल और सीरिया से निकालने पर सहमत हो जाए जिसके बाद अमरीका दक्षिणी सीरिया में हिज़्बुल्लाह को घेर सके लेकिन ऐसा होना संभव नहीं है।

 

एक अहम बात यह भी है कि ट्रम्प अमरीका के अंदर पैदा होने वाली समस्याओं व संकटों से बचने के लिए देश के बाहर विशेष कर मध्यपूर्व में तनाव फैलाना यहां तक युद्ध शुरू करवाना ज़रूरी समझते हैं लेकिन इसी के साथ वह यह भी जानते हैं कि इस इलाक़े में किसी भी तरह की जंग शुरू होने का मतलब इस्राईल का ख़ात्मा होगा। यही कारण है कि यूरोप विशेष कर फ़्रान्स ने हिज़्बुल्लाह को निशाना बनाए जाने के बारे में चेतावनी दी है जिसका मतलब यही है कि लेबनान के विघटन से प्रतिरोध को जितना नुक़सान पहुंचेगा, उससे कहीं ज़्यादा यूरोप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।