AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

27 जून 2020

5:00:39 pm
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हशदुश्शाबी क्या है और उसे अमरीका क्यों ख़त्म करना चाहता है?

2014 में इराक़ में दुनिया के सबसे ख़ूंख़ार आतंकवादी गुट दाइश ने जब काली आंधी बनकर एक के बाद एक इलाक़े पर क़ब्ज़ा करना शुरू किया तो इराक़ी सेना इस काली आंधी में तिनकों की तरह बिखरती नज़र आई।

इराक़ और सीरिया में हर तरफ़ हाहाकार मचा हुआ था। दाइश के सरग़ना अबू बक्र अल-बग़दादी ने मूसिल की जामा मस्जिद में दाइश की ख़िलाफ़त की स्थापना का एलान कर दिया। पूरी दुनिया से विशेष रूप से पश्चिमी देशों से दाइश की विचारधारा से प्रभावित होकर युवक लड़ने के लिए इराक़ और सीरिया पहुंचने लगे।

दाइश के आतंकवादियों ने लोगों में भय उत्पन्न करने के लिए हिंसा और हत्याओं के ऐसे ऐसे वीडियो जारी करना शुरू कर दिए, जिन्हें देखकर इंसान की रूह तक कांप जाती है और इस बात का विश्वास हो जाता है कि इंसान से बड़ा वहशी दरिंदा दुनिया में दूसरा कोई नहीं हो सकता।

चमचमाती एसयूवी गाड़ियों की लम्बी लम्बी क़तारें और हाथों में काले झंडे और आधुनिक हथियार लिए हुए उनमें सवार ख़ूंख़ार दिखने वाले आतंकवादी अपने सामने आने वाली किसी भी  ताक़त को पैरों तले रौंदने पर आमादा लगते थे।

दाइश के अपराधों, पश्चिमी नेताओं के बयानों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के विश्लेषणों ने मिलकर दाइश की एक ऐसी तस्वीर पेश की, जिसे दशकों तक दुनिया की कोई ताक़त पराजित नहीं कर सकती।

दुनिया की बड़ी ताक़तें बहुत ही सुनियोजित ढंग से हर स्तर पर दाइश का समर्थन कर रही थीं, जिससे निकट भविष्य में उसे हरा पाना असंभव प्रतीत हो रहा था। दाइश के आतंकवादी तेज़ी से बग़दाद की ओर बढ़ रहे थे और उन्होंने बग़दाद के कई इलाक़ों पर रॉकेट फ़ायर करने शुरू कर दिए थे, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि कुछ ही दिनों में बग़दाद का पतन हो जाएगा।

लेकिन उसी दौरान, इराक़ के वरिष्ठ धर्मगुरु आयतुल्लाह सीस्तानी ने इराक़ी युवाओं से दाइश के मुक़बाले में उठ खड़े होने का फ़तवा जारी कर दिया। जिसके बाद इराक़ी युवा अपने घरों से निकल पड़े और इस तरह स्वयं सेवी बल हशदुश्शाबी या पॉपुलर मोबिलाइज़ेशन फ़ोर्सेज़ का गठन हुआ।

हशदुश्शाबी का ईरान और उसके सहयोगी प्रतिरोधी संगठनों ने भरपूर समर्थन किया। हशदुश्शाबी के जांबाज़ों ने जल्द ही जंग के मैदान का नक़्शा पलटना शुरू कर दिया और कई मोर्चों पर दाइश के आतंकवादियों को पीछे धकेल दिया।

दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई में हशदुश्शाबी के जांबाज़ों की बहादुरी और बलिदान तथा शांति व स्थिरता की स्थापना में भविष्य में भी उनकी अहम भूमिका को देखने हुए 2016 में इराक़ी संसद ने एक प्रस्ताव पारित करके हशदुश्शाबी को इराक़ी रेगुलर सुरक्षा बलों का दर्जा प्रदान कर दिया।

इराक़ी राष्ट्रपति द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर के बाद यह क़ानून बन गया और इस प्रकार हशदुश्शाबी एक मिलिशिया से इराक़ी सुरक्षा बलों का एक भाग बन गई।

लेकिन अशांत और कमज़ोर इराक़ में अपने हित देखने वाले अमरीका और इस्राईल को हशदुश्शाबी एक आंख नहीं भाई और वह शुरू से ही इसे ख़त्म करने के लिए सक्रिय हो गए।

अमरीकियों और इस्राईलियों का मानना है कि ईरान की इस्लामी क्रांति फ़ोर्स आईआरजीसी की तर्ज़ पर बनने वाली इराक़ की यह फ़ोर्स उनके हितों के लिए हमेशा उसी तरह से ख़तरा बनी रहेगी, जिस तरह से ईरान और क्षेत्र में आईआरजीसी बनी हुई है।

वास्तव में आईआरजीसी जैसी राष्ट्र को समर्पित फ़ोर्स के रहते हुए अमरीकी और इस्राईली सैन्य तख़्तापलट और लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंकने जैसी अपनी घिनौनी साज़िशों में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

अमरीक और इस्राईल कई बार हशदुश्शाबी के ठिकानों पर ड्रोन हमले कर चुके हैं और लगातार बग़दाद पर उसे ख़त्म करने के लिए दबाव बना रहे हैं।

गुरुवार की रात बग़दाद स्थित हशदुश्शाबी की 45वीं ब्रिगेड कतायब हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर इराक़ी आतंकवादी निरोधक दस्ते का छापा भी इन्ही प्रयासों की एक कड़ी है।

अमरीका का प्रयास है कि इराक़ी सुरक्षा बलों को एक दूसरे के सामने खड़ा करके एक बार फिर इस देश को भयानक गृहयुद्ध में धकेल दे, ताकि इराक़ियों को अपने पैरों पर खड़ा होने का मौक़ा ही न मिल सके।

अब यहां एक बार फिर इराक़ी धर्मगुरुओं, नेताओं, और बुद्धिजीवियों को अपने देश को बचाने के लिए आगे बढ़कर भूमिका निभानी होगी। इराक़ी राष्ट्र को दोस्त और दुश्मन की पहचान करके उन नेताओं को कड़ी सज़ा देनी होगी, जो अपने निजी लाभ के लिए दुश्मन शक्तियों के हाथों राष्ट्र का सौदा कर रहे हैं।