AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

22 जून 2020

2:14:34 pm
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सिर्फ़ ढाई घंटे पहले ईरान पर हमले का ट्रम्प ने क्यों बदल दिया इरादा, बोल्टन ने किया बड़ा ख़ुलासा

अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के पूर्व राष्ट्रीय सुलाहकार जॉन बोल्टन ने अपनी आने वाली विवादित किताब में ईरान पर अमरीका के हमले को लेकर एक बड़ा रहस्योद्घाटन किया है।

बोल्टन ने तेहरान द्वारा अमरीका के आधुनिक ड्रोन ग्लोबल हॉक को मार गिराने के बाद ईरान पर हमला नहीं करने के ट्रम्प के फ़ैसले का उल्लेख किया है।

ग़ौरतलब है कि ट्रम्प ने बोल्टन की इस किताब के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, लेकिन अमरीका की एक अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दया। ट्रम्प का कहना है कि इस किताब में उनके पूर्व राष्ट्रीय सलाहकार द्वारा किए गए ख़ुलासे, ग़ैर क़ानूनी हैं और वह एक मूर्ख व्यक्ति हैं।

बोल्टन का कहना है कि कांग्रेस की विशेष बैठक 4 बजकर 20 मिनट पर ख़त्म हुई और ईरान पर हमले के लिए पूरी तैयारी कर ली गई। मैंने सोचा कि आज हो सकता है पूरी रात व्हाइट हाउस में ही गुग़ारनी पड़े, इसलिए 5 बजकर 30 मिनट पर मैंने लिबास बदलने के लिए घर जाने का इरादा किया।

जनरल डैनफ़ोर्ड (चीफ़ ऑफ़ आर्मी स्टाफ़) ने रात को 7 बजे ईरान की तीन साइटों पर हमलों का अभ्यास करने का समय निर्धारित किया था। क्योंकि असली हमला 9 बजे रात को होना था, इसलिए भी मेरे पास वक़्त काफ़ी था।

ख़ुफ़िया एजेंसी की कार से ही क़रीब 5 बजकर 35 मिनट पर मैंने ट्रम्प को फ़ोन किया और हमले के बारे में उन्हें विस्तार से बताया, उन्होंने ओके कहकर अपनी सहमति जता दी। 5 बजकर 40 मिनट पर पैट्रीक शनाहन (अंतरिम रक्षा मंत्री) से हमले के तुरंत बाद जारी करने वाले बयान के बारे में बातचीत की।

मैं घर पहुंचा, लिबास तब्दील किया और तुरंत व्हाइट हाउस के लिए निकल पड़ा। मैं अभी रास्ते में ही था कि शनाहन का फ़ोन आया और उन्होंने बताया कि तेहरान स्थित ब्रिटिश दूतावास पर हमला हुआ है, इसीलिए डैनफ़ोर्ड के साथ मिलकर उन्होंने हमले को एक घंटे के लिए टालने का फ़ैसला लिया है। हालांकि बाद में स्पष्ट हुआ कि तेहरान में ब्रिटिश दूतावास पर हमले की रिपोर्ट ग़लत थी, बल्कि दूतावास के सामने कोई एक छोटी सी घटन घटी थी।

मुझे यक़ीन नहीं हो रहा था कि पेंटागन हमले के समय में कोई बदलाव करेगा। ख़ास तौर पर इसलिए भी कि ब्रिटिश दूतावास पर हमले की रिपोर्ट की पुष्टि नहीं हुई थी। मैंने ट्रम्प को फ़ोन किया और कहाः मुमकिन है हमें हमले को एक घंटे के लिए टालना पड़े। ट्रम्प की समझ में नहीं आया कि हम क्यों हमले को एक घंटे के लिए टाल रहे हैं, लेकिन उन्होंने इसका विरोध भी नहीं किया।

मुझे यह डर था कि कहीं शनाहन और डेनफ़ोर्ड हमले का इरादा तर्क न कर दें, इसलिए मैंने पोम्पियो (वदेश मंत्री) को फ़ोन किया। पोम्पियो का मानना था कि शनाहन और डेनफ़ोर्ड घबराए हुए हैं और उनका कहना है कि अगर कुछ दिन और सब्र करें तो हो संभव है दूतावास पर हमला होने की वजह से ब्रिटेन भी हमारा साथ दे। पोम्पियो से अभी मेरी बात चल ही रही थी कि मुझे बताया गया कि राष्ट्रपति ट्रम्प हम चार लोगों, मैं, पोम्पियो, शनाहन और डेनफ़ोर्ड से टोलीफ़ोन पर एक साथ बात करना चाहते हैं।

क़रीब 7 बजकर 20 मिनट पर ट्रम्प ने बात शुरू की और कहा कि उन्होंने ईरान पर जवाबी हमला करने का इरादा बदल दिया है। क्योंकि यह हमला ग्लोबल हॉक को मार गिराए जाने के लिए किए गए हमले से मेल नहीं खाता है। राष्ट्रपति ट्रम्प का कहना था कि किसी ने उन्हें बताया है कि इस हमले में 150 ईरानियों के मारे जाने की संभावना है और वह नहीं चाहते हैं कि एक ड्रोन के बदले में इतनी जानों को जोखिम में डालने का रिस्क उठाएं। पोम्पियो ने अपनी दलीलों से ट्रम्प को हमले के लिए आश्वस्त करने का प्रयास किया, लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और सिर्फ़ यह कहकर कि हमले के लिए हमेशा काफ़ी वक़्त है, फ़ोन काट दिया। मैंने भी उन्हें राज़ी करने की काफ़ी कोशिश की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। मेरी नज़र में एक राष्ट्रपति का यह सबसे अतार्किक क़दम था।

ग़ौरतलब है कि आईआरजीसी ने 20 जून 2019 को ईरान की वायु सीमा में घुसपैठ करने वाले अमरीकी ड्रोन ग्लोबल हॉक को मार गिराया था, जिसके बाद ट्रम्प ने यह दावा किया था कि अमरीका के जवाबी हमले में ईरान के दर्जनों नागरिकों के मारे जाने की वजह से उन्होंने जवाबी हमले का इरादा बदल दिया।

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रम्प को अमरीकी जनरलों ने बताया था कि अगर ईरान पर हमला होता है तो फ़ार्स खाड़ी के इलाक़े में मौजूद हमारे हज़ारों सैनिक ईरान के निशाने पर होंगे और फिर इस इलाक़े में एक बड़ा युद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता। इसी जानकारी के बाद, अमरीकी राष्ट्रपति ने हमले का इरादा बदल दिया।