AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

22 मई 2020

11:50:39 am
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जेहाद को पूरे फिलिस्तीन में फैल जाना चाहिएः वरिष्ठ नेता

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि ज़ायोनिज़्म का वायरस अधिक समय तक नहीं चलेगा और युवाओं के प्रयासों, उत्साह और विश्वास के साथ इस क्षेत्र से यह मिट जाएगा।

विश्व कुद्स दिवस के अवसर पर पर इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह ख़ामेनई ने अपने भाषण में कहा कि ईरान में इस्लामी क्रांति के उदय से, फिलिस्तीनियों के लिए संघर्ष का नया अध्याय शुरु हो गया। ईरान में शाही व्यवस्था के दौर में इसे अपना सुरक्षित ठिकाना समझने वाले ज़ायोनियों को खदेड़ने, ज़ायोनी शासन के ग़ैर सरकारी दूतावास की इमारत को फिलिस्तीन के हवाले करने और तेल सप्लाई रोकने जैसे आरंभिक क़दमों से लेकर बड़े बड़े कामों और राजनीतिक गतिविधियों तक, सारे क़दम इस बात का कारण बने कि पूरे क्षेत्र में प्रतिरोध मोर्चे का गठन हो और इस तरह से इस मुद्दे के समाधन की आशा जाग उठे।

वरिष्ठ नेता ने कहा कि आज विश्व क़ुद्स दिवस है। वह दिन जो इमाम ख़ुमैनी की बुद्धिमत्तापूर्ण पहल पर, बैतुल मुक़द्दस और मज़लूम फ़िलिस्तीन के बारे में मुसलमानों की आवाज़ों को एक दूसरे से जोड़ने वाली कड़ी के रूप में निर्धारित किया गया है। इस दिन ने पिछले कई दशकों से इस संबंध में अपनी भूमिका निभाई है और इंशा अल्लाह आगे भी निभाता रहेगा।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि क्षेत्रीय घटनाओं पर नज़र डालने से यह पता चलता है कि एक ज़ायोनी सरकार बनाने से पश्चिमियों और यहूदी कंपनियों के मालिकों का अस्ल और निकट मक़सद, पश्चिमी एशिया में अपनी उपस्थिति और स्थाई प्रभाव के लिए एक ठिकाना बनाना और इस इलाक़े के देशों और सरकारों के मामलों में हस्तक्षेप को संभव बनाने के लिए उनके निकट रहना था।  

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने मौजूदा हालात, समीकरणों और शक्ति के संतुलन की स्थिति का सटीक जायज़ा पेश करते हुए बड़ी महत्वपूर्ण सिफ़ारिशें कीं जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं। फिलिस्तीन की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष, ईश्वर की राह में किया जाने वाला जेहाद और सराहनीय इस्लामी दायित्व है। इस मुद्दे को फिलिस्तीनी या अधिक से अधिक एक अरबी दायरे तक सीमित करना एक बहुत बड़ी गलती है।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस संघर्ष का उद्देश्य, सागर से लेकर नदी तक अर्थात भूमध्य सागर से जार्डन नदी तक पूरे फिलिस्तीन की स्वतंत्रता और सभी फिलिस्तीनियों की स्वदेश वापसी है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की एक सिफ़ारिश यह भी है कि इस संघर्ष में हर जायज़ और क़ानूनी साधन का प्रयोग सही है जिसमें से एक अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी है, लेकिन हमारा आग्रह है कि पश्चिमी सरकारों और विदित और ढंके छिपे रूप में उनपर निर्भर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों पर भरोसा करने से बचना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई ने कहा कि इलाक़े में ज़ायोनी शासन के अस्तित्व को सामान्य बात दर्शाना, अमरीका की एक मुख्य नीति है। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन, इस इलाक़े के लिए भयानक नासूर और पूरी तरह से हानिकारक है और निश्चित रूप से उसका अंत और पतन होगा।  इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता ने आगे कहा कि हमारी सब से मुख्य सिफारिश, संघर्ष को जारी रखना, मुजाहिद संगठनों को सुव्यवस्थित करना, एक दूसरे से उनका सहयोग और पूरे फिलिस्तीन में जेहाद को फैलाना है। सभी को चाहिए कि इस पवित्र संघर्ष में फिलिस्तीनियों की मदद करें।

इस्लामी क्रान्ति के वरिष्ठ नेता का कहना था कि फ़िलिस्तीन, फ़िलिस्तीनियों का है और उनकी इच्छा से उसका संचालन होना चाहिए। फिलिस्तीन के सभी धर्मों के अनुयाइयों और जातियों की भागीदारी से जनमत संग्रह ही एकमात्र परिणाम है जिसे हम लगभग दो दशकों से पेश कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि इसे फिलिस्तीन की वर्तमान और भावी चुनौतियों से मुकाबले के लिए पेश किया जा सकता है। इस सुझाव में फिलिस्तीन के यहूदी, ईसाई और मुसलमान नागरिक, एक दूसरे के साथ मिलकर एक जनमत संग्रह में भाग लेंगे और फिलिस्तीन की राजनीतिक व्यवस्था का निर्धारण करेंगे।