AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
मंगलवार

28 अप्रैल 2020

1:56:26 pm
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सऊदी अरब, परस्पर विरोधी नेता ओर हालात, वाशिंग्टन पोस्ट का एक अच्छा लेख। बिन सलमान, न घर के न घाट के!

वाशिंग्टन पोस्ट ने लिखा है कि आजकल सऊदी अरब की सत्ता पर मुहम्मद बिन सलमान का क़ब्ज़ा है जो अजीब विरोधाभासी गुणों के मालिक हैं।

वह सऊदी अरब के इतिहास में सब से अधिक क्रूर तानाशाह हैं लेकिन इसके साथ ही इस देश के इतिहास के सब से बड़े सुधारक भी। इस विरोधाभास का एक उदाहरण पिछले हफ्ते उस समय देखने मे आया जब सऊदी अरब की जेल में एक सुधारवादी समाजी कार्यकर्ता की मौत की खबर आयी और फिर सऊदी अरब में कोड़े मारने और नाबालिकों को मृत्युदंड दिये जाने की सज़ा के खत्म किये जाने का एलान किया गया।

    69 वर्षीय सऊदी समाजी कार्यकर्ता की जेल के बुरे हालात की वजह से पैदा होने वाली बीमारी में मौत हो गयी। उन्हें सन सन 2013 में प्रजातंत्र के निमंत्रण के अपराध में 11 साल जेल की सज़ा हुई थी।

    बिन सलमान की जेलों में जो कुछ हो रहा है उस का यह एक काला उदाहरण है। बिन सलमान, सऊदी सत्ता पर क़ब्ज़े के फौरन बाद से ही बदनाम होना शुरु हो गये थे और उन पर बहुत से सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या और यातना देने का आरोप है जिसमें सबसे अधिक मशहूर सऊदी पत्रकार जमाल खाशुकजी की हत्या का मामला है।

    सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस जिन्हें पश्चिमी मीडिया " एमबीएस" कहता है यह कभी नहीं चाहते कि दुनिया उन्हें इस नज़र से देखे बल्कि वह स्वंय को एक आधुनिक व सुधारवादी नेता के रूप में पूरी दुनिया में पेश करना चाहते हैं।

    बिन सलमान पहले भी सऊदी अरब में महिलाओं पर कार चलाने पर प्रतिबंध हटा चुके हैं इसी तरह सेनेमा हाल और क्लब आदि खोलने की अनुमति दे चुके हैं लेकिन नाबालिकों को सज़ाए मौत न देने का उनका फैसला सऊदी अरब की जेलों में बंद कई नाबालिकों क़ैदियों की जान बचाएगा।

    लेकिन सऊदी अरब में बिन सलमान जो भी सुधार कर रहे हैं वह बस नाम के ही हैं और उनके सुधारों में भी तानाशाही झलकती है। सन 2018 में  जब उन्होंने महिलाओं को कार चलाने की अनुमति दी थी तो उसी समय 18 से अधिक महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डलवा दिया गया था जहां उन्हें टार्चर भी किया गया। आज भी उनमें से कई सामाजिक महिलाएं बिना किसी आरोप पत्र के जेल में बंद हैं।

    बिन सलमान दो परस्पर विरोधी चीज़ें एक साथ हासिल करना चाहते हैं। एक तरफ वह चाहते हैं कि उन्हें सऊदी अरब के भीतर अपने खिलाफ उठने वाली हर आवाज़ को दबाने की आज़ादी हो और दूसरी तरफ वह यह चाहते हैं कि दुनिया उनके सिर पर सऊदी अरब में सुधार लाने का ताज रखे लेकिन ज़ाहिर सी बात है कि इस प्रकार की रणनीति और इच्छा 21वीं सदी में तो पूरी नहीं हो सकती। वैसे भी सऊदी अरब मंदी के दलदल के डूब रहा है।

    बिन सलमान की समस्या यह है कि उनके अपराध इतने काले  और इतने अधिक हैं कि उनकी छाया से आधुनिकता की उनकी चमक दमक फीकी ही नहीं छुप जाती है। 34 साल के अनुभवहीन क्राउन प्रिंस अपनी शैली बदलते रहते हैं लेकिन उनके अपराध उनकी सारी कोशिशों पर पानी फेर देते हैं।

    सऊदी अरब की इस्लामी जगत के एक बड़े भाग में अच्छी पोज़ीशन थी और इस्लामी जगत का एक बड़ा भाग, वहां इस्लामी स्थलों और धर्म का नाम लिये जाने की वजह से, सऊदी नेताओं के बहुत से अपराधों की अनदेखी कर देता था मगर आधुनिकता और पश्चिम को खुश करने के चक्कर में बिन सलमान ने, अपने चेहरे से धर्म का झूठा नकाब भी नोच कर फेंक दिया है, आज सऊदी अरब में वह सब कुछ हो रहा है जिसके बारे में इस्लामी जगत के बहुत से लोग बिन सलमान से पहले सोच भी नहीं सकते थे। इस लिए अब इस्लामी जगत में सऊदी अरब के समर्थकों में भी निराशा फैल रही है इस तरह से लगता है कि बिन सलमान, धोबी के कुत्ते बन गये हैं, न घर के न घाट के !