AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

27 अप्रैल 2020

1:49:58 pm
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सऊदी अरब ने क्यों ख़त्म की कोड़े मारने की सज़ा? क्या इस देश में बदल रही है दंड की प्रक्रिया? क्या राजनैतिक कार्यकर्ताओ को भी मिल

सऊदी अरब ने कोड़े मारने की सज़ा को जेल या हर्जाने की सज़ा में बदलने का फ़ैसला किया तो इस फ़ैसले की सऊदी अरब के राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के प्रमुख डाक्टर मुफ़लेह क़हतानी ने तारीफ़ करते हुए इसे अभूतपूर्व क़दम बताया।

मगर मुद्दा यह है कि सऊदी प्रशासन ने यह फ़ैसला तो ज़रूर किया है मगर राजनैतिक और सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ़तारियां, उनका उत्पीड़न और जेलों में उन्हें चिकित्सा की सुविधाओं से वंचित करके मरने के लिए छोड़ देना यह सब जारी है। इस पर दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों की नज़र है।

सऊदी अरब को हालिया दिनों भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। एक तरफ़ यमन युद्ध के कारण सऊदी सरकार को देश के भीतर और बाहर कोसा जा रहा है कि उसने बेवजह यह संकट खड़ा कर दिया बल्कि एक दलदल में कूद पड़ी और दूसरी ओर रूस के साथ तेल का युद्ध शुरू करके रियाज़ सरकार ने अपना ही गला घोंटना शुरू कर दिया है।

इन परिस्थितियों में सऊदी अरब ने कोड़े की सज़ा ख़त्म करके माहौल बदलने की कोशिश की है मगर यह फ़ैसला ठीक उस समय किया गया जब मशहूर एकेडमीशियन और कार्यकर्ता अब्दुल्लाह अलहामिद की जेल के भीतर मौत हो गई। इस मौत के बाद एक लंबी बहस छिड़ गई कि जेल के भीतर अलहामिद की मौत के असली करण क्या हैं? संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्टर अनीस कालामार ने अलहामिद की मौत को बेहद दुखद घटना बताया। कालामार ने सऊदी प्रशासन से पहले ही अपील की थी कि अलहामिद को रिहा कर दे साथ ही दूसरे राजनैतिक कार्यकर्ताओं को भी छोड़े क्योंकि कोरोना वायरस की महामारी फैलने की वजह से इन क़ैदियों के लिए ख़तरा बढ़ गया है।

ह्यूमन राइट्स वाच ने भी सऊदी प्रशासन की नीयत पर सवाल उठाए थे। संस्था ने अलहामिद की मौत के बाद कहा कि दुनिया ने एक बड़े मानवाधिकार लीडर को खो दिया।

सऊदी अरब ने राजनैतिक, सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बारे में जो बर्ताव अपना रखा है उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सज़ा में बदलाव करके रियाज़ सरकार यूरोपीय देशों जैसी छवि बनाने की कोशिश तो कर रही है लेकिन कार्यकर्ताओं के बारे में उसकी बेरहमी में कोई बदलाव आने वाला नहीं है। दरअस्ल सरकार कार्यकर्ताओं को यह संदेश देना चाहती है कि वह उन्हें कुचलती भी रहेगी और साथ ही दुनिया में अपनी छवि भी सुधार लेगी।

ख़ालिद अलजयूसी

फ़िलिस्तीनी पत्रकार