AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

27 अप्रैल 2020

1:39:09 pm
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यमन में कूदे थे सऊदी अरब और इमारात, बड़े लक्ष्यों का किया गया था एलान मगर अब एक दूसरे को आंख दिखा रहे हैं!

यमन के दक्षिणी इलाक़े अदन में सऊदी अरब और इमारात द्वारा समर्थित संगठनों के बीच आपसी लड़ाई इतनी बढ़ गई है कि इमारात द्वारा समर्थित अंतरिम परिषद ने इलाक़े का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है और सऊदी अरब द्वारा समर्थित तथाकथित सरकार के लोगों को निकाल बाहर किया है।

नतीजा यह निकला है कि मंसूर हादी के नेतृत्व वाले वाले धड़े को भारी धचका पहुंचा है और साथ ही सऊदी अरब और इमारात के आपसी एलायंस को भी एक बार फिर भारी नुक़सान पहुंचा है। वैसे इससे पहले भी दोनों देशों के बीच कई बार तनाव चरम पर पहुंच गया। अब तो यह कहा जा सकता है कि सऊदी अरब और इमारात का एलायंस टूट चुका है।

अदन शहर में विनाशकारी बाढ़ आई और पूरा शहर पानी में डूब गया 21 लोग मारे गए। इसी घटना ने हालात को नया रुख़ दे दिया। अदन के लोगों ने इस कठिन घड़ी में ख़ुद को अकेला पाया तो सब सड़कों पर उतर पड़े। इमारात द्वारा समर्थित अंतरिम परिषद ने इस मौक़े का फ़ायदा उठाया और अपना शासन स्थापित कर लिया।

वैसे अंतरिम परिषद ही इस इलाक़े में सुरक्षा और सामरिक दृष्टि से मज़बूत थी और उसने अदन पर अपनी पकड़ बना रखी थी। अब उसने अपने शासन का एलान करके पूरे दक्षिणी इलाक़े पर पकड़ मज़बूत करना शुरू कर दिया है। मंसूर हादी से जुड़ी सभी संस्थाओं को बंद करवा दिया गया। मंसूर हादी के तथाकथित शासन में प्रधानमंत्री को अदन लौटने से रोक दिया गया है। इसका मतलब यह है कि मंसूर हादी की सरकार के हाथ से पहले तो सनआ निकल गया और अब अदन से भी उसने हाथ धो लिया जिसे मंसूर हादी ने अपनी दूसरी राजधानी बना लिया था। अब मंसूर हादी को तीसरी राजधानी तलाश करनी पड़ेगी या फिर सऊदी अरब की राजधानी के किसी होटल में बैठकर वह अपना काम चलाने पर मजबूर हैं।

मंसूर हादी और अंतरिम परिषद के बीच एक रियाज़ समझौता हुआ था जिसके नतीजे में दोनों पक्षों के बीच भीषण झड़पें टल गई थीं मगर अधिकारों के बंटवारे का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद अब तक लागू नहीं हो पाया।

यमन में इस समय असली लड़ाई सऊदी अरब और इमारात के बीच हो रही है मगर यह ख़ामोश लड़ाई है जिसे इमारात की ओर से अंतरिम परिषद और सऊदी अरब की ओर से मंसूर हादी का गुट लड़ रहा है।

यह यमन के टुकड़े करने की एक दुखद दास्तान है और इस देश को 1967 से पहले की हालत पर ले जाया जा रहा है जब छोटे छोटे इलाक़ों के नरेश हुआ करते थे। दक्षिणी यमन के पांच प्रांतों ने अंतरिम परिषद के एलान का विरोध कर दिया है।

इस समय सबसे मज़बूत पोज़ीशन में अंसारुल्लाह आंदोलन है जिसके नियंत्रण में देश की सेना, राजधानी सनआ, पूरे उत्तरी इलाक़े, हुदैदा बंदरगाह, जौफ़ प्रांत तथा इसके साथ ही मारिब प्रांत का बड़ा हिस्सा है। उत्तरी इलाक़ो में शांति है। अंसारुल्लाह अब यमन के भीतर ही नहीं बल्कि पूरे इलाक़े के स्तर पर एक ताक़त के रूप में अपनी पहिचान बना चुका है। वही अंसारुल्लाह आंदोलन जिसे ध्वस्त करने और राजधानी सनआ से बाहर निकालने के लिए सऊदी अरब ने इमारात और अन्य देशों के साथ मिलकर यमन पर विध्वंसकारी युद्ध थोप दिया था।

साभार रायुल यौम