मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक़, एमबीएस के नाम से मशहूर बिन सलमान अपने पिता की मौत तक सब्र नहीं कर सकते, इसलिए कि शाही परिवार में उनके व्यापक विरोध को देखते हुए पिता की उपस्थिति में ही बेटे को सिंहासन मिल सकता है और वह नवंबर में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन का अपने शासन को वैधता प्रदान करने के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं।
एमबीएस अपने पिता को शासन छोड़ने के लिए मजबूर कर सकते हैं, जो भूलने की बीमारी से ग्रस्त हैं, लेकिन फ़िलहाल स्वस्थ हैं।
सूत्रों का कहना है कि एमबीएस ने जो काम अपने बड़े चचेरे भाई प्रिंस मोहम्मद बिन नायफ़ को युवराज के पद से हटाकर और ख़ुद उत्तराधिकारी बनकर शुरू किया था, वह उसे अब अंत तक पहुंचाना चाहते हैं।
एमबीएस के एक निकट सूत्र ने नाम ज़ाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि वह (एमबीएस) अपने पिता की मौजूदगी में ही किंग बनना चाहते हैं।
हालिया दिनों में किंग सलमान के निधन की अफ़वाहन फैलने के बाद, किंग सलमान की राजदूतों से मुलाक़ात की तस्वीरें भी जारी की गई थीं, ताकि इस तरह की अफ़वाहों पर विराम लग सके।
सूत्रों का कहना है कि शुक्रवार को किंग सलमान के सगे छोटे भाई प्रिंस अहमद की गिरफ़्तारी से पहले उन्हें एमबीएस के प्रति वफ़ादारी की घोषणा करने का एक आख़िरी मौक़ा दिया गया था।
प्रिंस अहमद से किंग सलमान और एमबीएस ने मुलाक़ात की और उनकी सहमति हासिल करने का हर संभव प्रयास किया।
लेकिन प्रिंस अहमद ने साफ़ कह दिया कि वे मोहम्मद बिन सलमान का किंग के रूप में समर्थन नहीं कर सकते। उन्होंने अपने भाई किंग सलमान से यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि वह ख़ुद किंग नहीं बनना चाहते हैं, बल्कि शाही परिवार में से किसी योग्य व्यक्ति को सिंहासन पर देखना चाहते हैं।
सूत्रों का यह भी कहना है कि शुक्रवार को प्रिंस अहमद की गिरफ़्तारी के बाद, उन पर तख़्तापलट की साज़िश रचने का जो आरोप लगाया गया है, वह सही नहीं है, इसलिए कि उन्होंने किंग का चयन करने वाली परिषद का सदस्य होने की हैसियत से खुलकर अपने भतीजे के किंग बनने की योजना का विरोध किया है।
यह परिषद कि जिसे बैया भी कहा जाता है, शाही परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का एक ऐसी समिति है, जिसे अभी एबीएस के सिंहासन के लिए उत्तराधिकारी बनने का अनुमोदन करना है।
प्रिंस अहमद गुरुवार को ही यात्रा से वापस लौटे थे और शुक्रवार को उन्हें किंग की ओर से हाज़िर होने का आदेश प्राप्त हुआ।
शुक्रवार की सुबह जैसे ही उन्होंने शाही महल में प्रवेश किया, तुरंत गिरफ़्तार कर लिया गया।
सूत्रों का कहना है कि किंग से उनकी मुलाक़ात नहीं हुई, बल्कि उनके साथ विश्वासघात किया गया और परिषद के एक अन्य सदस्य को भी गिरफ़्तार कर लिया गया।
जब एमबीएस से पूछा गया कि गिरफ़्तारियों का यह सिलसिला इस वक़्त क्यों शुरू किया गया है तो उन्होंने कहाः उन्हें इस बात की चिंता है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प दूसरे चरण का चुनाव हार जायें।
अमरीकी राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल सभी डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों ने 2018 में पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या का आदेश देने के लिए बिन सलमान की कड़ी निंदा की है। जबकि ट्रम्प और उनका प्रशासन लगातार सऊदी क्राउन प्रिंस का बचाव करता रहा है।
ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब में शाही परिवार के वरिष्ठतम राजकुमार अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ की गिरफ्तारी के बाद, बड़े पैमाने पर राजकुमारों की धरपकड़ और गिरफ़्तारियों का सिलसिला जारी है।