AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
रविवार

8 मार्च 2020

5:24:29 pm
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सऊदी अरब में दो राजकुमारों मुहम्मद बिन नाएफ़ और अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ की गिरफ़तारी की दो संभावित वजहें हो सकती हैं, बड़ी ग़द्दा

सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के अपने चचा अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ और चचेरे भाई तथा पूर्व क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन नाएफ़ को गिरफ़तार करवा लेने और उन पर बड़ी ग़द्दारी के आरोप लगाने की दो प्रमुख वजहें हो सकती हैं।

एक तो यह कि सऊदी शाही परिवार के भीतर ही मुहम्मद बिन सलमान और उनके पिता के ख़िलाफ़ अब बग़ावत की आवाज़ उठने लगी है और गिरफ़तार किए गए दोनों राजकुमार इसमें आगे आगे थे। संभावित रूप से शाही परिवार के लोगों में इस बात पर सहमति बन रही थी कि अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ देश के नरेश और मुहम्मद बिन नाएफ़ क्राउन प्रिंस बन जाएं। ताकि सऊदी अरब की सत्ता को एक बार फिर सही ढर्रे पर लाया जाए और वह प्रक्रिया बहाल की जाए जो किंग सलमान के सत्ता में पहुंचने से पहले देश में मौजूद थी। यानी पड़ोसी देशों से बातचीत के दरवाज़े खोले जाएं और ईरान और तुर्की से जारी सऊदी अरब की दुशमनी और तनाव को कम किया जाए।

दूसरी वजह यह हो सकती है कि बिन सलमान ने कुछ भी होने से पहले ही अपने संभावित विरोधियों को कुचलने की योजना बनाई है। अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ ने मुहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बनाए जाने का खुलकर विरोध किया था और उनकी बैअत भी नहीं की थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह देश की सत्ता अपने हाथ में लेने के प्रयास कर रहे हैं क्योंकि किंग सलमान का स्वास्थ्य एसा नहीं है कि वह देश का संचालन कर सकें।

इन गिरफ़तारियों की ख़बर सबसे पहले दो अमरीकी अख़बारों में छपी। एक तो वाल स्ट्रीट जनरल है जो दक्षिणपंथी आर्थिक नज़रिए वाला अख़बार है और बिन सलमान तथा ट्रम्प के क़रीब माना जाता है। दूसरा अख़बार न्यूयार्क टाइम्ज़ है जो दोनों का कट्टर आलोचक अख़बार है। इसका मतलब यह है कि वाइट हाउस या अमरीकी इंटैलीजेन्स ने यह रिपोर्ट लीक की है। शायद यह ख़बर खुद बिन सलमान ने लीक करवाई हो ताकि शाही परिवार के भीतर उनके सारे विरोधियों को कड़ा संदेश पहुंच जाए कि यदि उन्होंने कोई भी गड़बड़ की तो उनका भी यही अंजाम होगा।

मुहम्मद बिन सलमान पर जब से पत्रकार जमाल ख़ाशुक़जी की हत्या करने और उनके शव के टुकड़े करने का आरोप लगा है उस समय से वह सामने आने से बचते हैं और पर्दे के पीछे बैठ कर सरकार चला रहे हैं। शायद इसका कारण यह है कि उन्हें अनुमान है कि उनके ख़िलाफ़ भारी विरोध मौजूद है और उन पर शाही परिवार के ही लोगों की तरफ़ से हमला हो सकता है।

बिन सलमान को देश की इंटेलीजेन्स एजेंसियों के साथ ब्रिटिश और अमरीकी इंटेलीजेन्स से भी इनपुट मिलते हैं।

अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ किंग सलमान के छोटे भाई हैं। उन्हें शाही परिवार के भीतर और किसी हद तक आम जनता में लोकप्रियता हासिल है। उन्होंने हिम्मत दिखाई थी और बिन सलमान को क्राउन प्रिंस के रूप में स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने लंदन में कुछ प्रदर्शनकारियों से साफ़ कहा था कि यमन युद्ध के लिए आले सऊद परिवार दोषी नहीं बल्कि सऊदी नरेश और क्राउन प्रिंस दोषी हैं।

दोनों राजकुमारों पर जो आरोप लगा है उसमें फांसी की सज़ा का प्रावधान है। कभी तो इस प्रकार के आरोपियों की गरदन तत्काल काट दी जाती है और कभी लंबे समय तक जेल में रखा जाता है और क़त्ल के लिए उचित समय का इंतेज़ार किया जाता है।

किंग सलमान और मुहम्मद बिन सलमान की सरकार कठिन आर्थिक और राजनैतिक हालात से गुज़र रही है। तेल की क़ीमत बाज़ार में 50 डालर प्रति बैरल तक पहुंच गई है, उमरा पर कोरोना की वजह से रोक लग गई है और हज पर भी रोक लग जाने की आशंका है। हज और उमरे से सऊदी अरब को दसियों अरब डालर की रक़म मिल जाती थी।

बिन सलमान ने इससे पहले 2017 में बड़ी संख्या में कारोबारियों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और राजकुमारों को गिरफ़तार करवाया था और उन पर आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उनसे मोटी रक़म वसूली थी। लेकिन चचा अहमद बिन अब्दुल अज़ीज़ और पूर्व गृह मंत्री व क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन नाएफ़ की गिरफ़तारी बहुत बड़ा क़दम है जिस पर बड़े पैमाने पर प्रतिक्रियाएं सामने आ सकती हैं।

अब तक सऊदी सरकार की ओर से इन गिरफ़तारियों पर कोई बयान नहीं आया लेकिन ख़ामोशी से भी यह अनुमान होता है कि इस मामले में कुछ सच्चाई है।

इन गिरफ़तारियों से पहले यमन युद्ध से होने वाले भारी नुक़सान के कारण और यमन के मिसाइल सऊदी अरब के मुख्य प्रतिष्ठानों तक पहुंचने के कारण सऊदी सरकार बड़ी संशय और बौखलाहट की स्थिति में थी और अब इन गिरफ़तारियों के बाद उसकी बौखलाहट और बढ़ेगी।

आने वाले दिनों में सऊदी अरब में चौंकाने वाली कुछ घटनाएं हो सकती हैं।

साभार रायुल यौम