इस बीच इसी इलाक़े में सीरिया और तुर्की की सेनाओं के बीच टकराव शुरू हो गया है जिसमें तुर्की के 13 सैनिक मारे गए हैं और तुर्की का दावा है कि उसके हमले में 100 से अधिक सीरियाई सैनिक हताहत हुए हैं लेकिन तुर्की के दावे की पुष्टि कोई भी नहीं कर रहा है। सीरियन ह्यूमन राइट्स आब्ज़रवरेटरी नाम का संगठन जो तुर्की का क़रीबी माना जाता है उसने भी कहा है कि तुर्की का दावा ग़लत है। एक भी सीरियाई सैनिक मारा नहीं किया गया है।
हालात को कंट्रोल करने के लिए तुर्की और रूस के प्रतनिधिमंडलों के बीच होने वाली अब तक की बातचीत परिणामहीन रही है जबकि तुर्क राष्ट्रपति ने कहा है कि वह खुद इस विषय में रूसी राष्ट्रपति से बात करेंगे मगर अब तक राष्ट्रपति पुतीन से बातचीत की अर्दोग़ान की कोशिशें नाकाम रही हैं।
इस बीच कुछ बहुत महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं।
- तुर्की को जिन सीरियाई चरमपंथी संगठनों पर भरोसा था वह सीरियाई सेना के सामने ताश के पत्तों की तरह बिखर गए और उनके क़ब्ज़े वाले महत्वूर्ण शहरों को सीरियाई सेना ने एक भी सैनिक गवांए बग़ैर आज़ाद करा लिया।
- तुर्की ने सूची समझौते के तहत सीरिया के भीतर 12 स्थानों पर चेकपोस्टें बना ली थीं मगर अब यही चेकपोस्टें उसके लिए मुसीबत बन गई हैं। 7 चेकपोस्टें सीरियाई सेना के परिवेष्टन में आ गई हैं। हर चेकपोस्ट पर 100 तुर्क सैनिक तैनात हैं। सीरियाई सेना इन चेकपोस्टों को बड़ी आसानी से तबाह कर सकती है।
- सीरियाई सेना को रूस का भरपूर सपोर्ट हासिल है। तुर्की के घटक अन्नुस्रा फ़्रंट ने रूस की छावनी पर ड्रोन हमला करने की कोशिश की जिसके बाद तो रूस ने और भी गंभीरता से इस मामले को लिया है।
राष्ट्रपति अर्दोग़ान ने अब तक दो बार वार्निंग जारी की है कि यदि सीरियाई सेना पीछे नहीं हटती और आज़ाद कराए हुए इलाक़ों को वापस नहीं करती तो तुर्क सेना हमले शुरू कर देगी लेकिन सीरियाई सेना पर इस वार्निंग का कोई असर नहीं हुआ है। बल्कि सीरियाई सेना ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यदि तुर्क सेना ने कोई भी हमला किया तो उसको मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
नैटो में अमरीका की दूत ने कहा है कि सीरिया और रूस से जारी तुर्की के मुक़ाबले में नैटो तुर्की के साथ है। यह अमरीका की ओर से पुतीन को उत्तेजित करने की कोशिश और तुर्क राष्ट्रपति को भयानक साज़िश में उलझाने का प्रयास है जहां तुर्की को जानी और माली नुक़सान उठाना पड़ सकता है।
अर्दोग़ान ने अपने सीरियाई समकक्ष बश्शार असद से मुलाक़ात का इशारा दिया लेकिन फिर वह अपनी बात से मुकर गए यह बात रूसी राष्ट्रपति को बुरी लगी और मास्को इस नतीजे पर पहुंच गया कि तुर्की बातचीत के माध्यम से मामले को हल करने के बजाए संकट को तूल देने की कोशिश कर रहा है।
ईरान की ओर से भी प्रस्ताव आया था कि वह तुर्की और सीरिया के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार है लेकिन अर्दोग़ान ने वह मौक़ा भी गवां दिया। अब तुर्की को लड़ाई में अपने घटक गुटों की पराजय देखनी पड़ रही है, अपने सैनिकों की मौत देखनी पड़ रही है और भारी संख्या में अपनी सीमाओं की ओर बढ़ते सीरियाई शरणार्थियों को देखना पड़ रहा है। हालांकि पहले से तुर्की में मौजूद सीरियाई शरणार्थियों की वजह से अर्दोग़ान भारी दबाव में हैं।
अब्दुल बारी अतवान