मंगलवार को अमरीका के वाशिंग्टन पोस्ट, जर्मनी के ज़ेडडीएफ और स्वीट्ज़रलैंड के एसआरएफ में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अमरीका और पश्चिमी जर्मनी ने एक स्विस कंपनी की मदद से दशकों तक विभिन्न देशों की जासूसी की है।
यह कंपनी विश्व के सौ से अधिक देशों को अपने एन्क्रिप्शन उत्पाद बेचती थी। एन्क्रिप्शन द्वारा रिकार्ड किये गये डेटा को केवल वही पढ़ सकता है जिसके पास उसका डिक्रिप्शन कोड होता है।
इस स्विस कंपनी के उत्पाद प्रयोग करने वाले देशों में ईरान, लेटिन अमरीकी देश, भारत , पाकिस्तान और वेटिकन शामिल हैं। इन देशों को इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि उनकी गुप्त बातचीत, नेटो के दो सदस्य देशों के लिए खुफिया नहीं हैं।
स्विस अधिकारियों ने मंगलवार को बताया है कि उन्होंने इस आरोप की जांच शुरु कर दी है कि एन्क्रिप्शन डिवाइस बनाने वाली कंपनी को वास्तव में सीआईए और पश्चिमी जर्मनी की खुफिया एजेन्सी चलाती थीं जिसकी वजह से उनके कंपनी के उत्पादों का प्रयोग करने वाले देशों की खुफिया बात चीत को डिकोड करना संभव था।
रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी की खुफिया एजेन्सी सीआईए ने सन 1970 में क्राईप्टो नामक इस स्विस कंपनी को चुपके से खरीद लिया था ।
रिपोर्ट के अनुसार इस कपंनी की मदद से अमरीका के लिए दुनिया की बहुत सी घटनाओं को भीतर से झांकने का अवसर मिला जिसमें सन 1979 में ईरान में बंधक संकट, सन 1986 में बर्लिन डिस्को में बम जैसी घटनाएं शामिल हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि फॅाकलैंड्स युद्ध के दौरान इस कंपनी ने अर्जेंटाइना के सैनिकों की गतिविधियों की जानकारी ब्रिटेन को दी थी।
सोवियत संघ और चीन ने स्विट्ज़रलैंड की क्राईपो एजी कंपनी से एन्क्रिप्शन डिवाइस कभी नहीं खरीदे इस लिए वह अमरीका और पश्चिम के इस जासूसी अभियान से सुरक्षित रहे।
अमरीका और जर्मनी की खुफिया एजेन्सियों ने इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया है किंतु रिपोर्ट में कही गयी बातों को नकारा भी नहीं है।