AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

8 फ़रवरी 2020

6:00:15 pm
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सऊदी अरब के पास ख़त्म हो रहा है पैट्रियट मिसाइलों का भंडार, यमन युद्ध के चलते रियाज़ सरकार ख़स्ताहाल, आईएमएफ़ की भविष्यवाणी से स

हालिया दिनों एक बड़ी घटना हुई कि अमरीका की अनुमति से सऊदी अरब ने यूनान से पैट्रियट मिसाइल मंगवाए। यह मिसाइल यूनान को अमरीका ने दिए थे।

यूनान से पैट्रियट मिसाइल सऊदी अरब भेजे जाने का साफ़ साफ़ मतलब यह है कि यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों की ओर से सऊदी अरब के ठिकानों पर किए जा रहे जवाबी हमलों को रोकने के लिए सऊदी अरब ने बड़े पैमाने पर पैट्रियट मिसाइल इस्तेमाल किए और अब इन मिसाइलों का भंडार उसके पास समाप्त हो रहा है।

कई महीनों की बातचीत के बाद यूनान की नई सरकार तैयार हुई है कि वह पैट्रियट मिसाइल सऊदी अरब भेजेगी। इससे पहले उसने अमरीका से अनुमति हासिल की क्योंकि आम तौर पर अमरीका जब किसी देश को हथियार बेचता है तो उसके लिए बहुत सी शर्तें भी लगाता है।

नैटो के सदस्य देशों के बीच अगर पैट्रियट मिसाइलों का लेनदेन होता है तो इसकी अनुमति है और इसी के तहत तुर्की में सीरिया की सीमा के निकट तैनात पैट्रियट मिसाइल स्पेन ले जाए जा रहे हैं। तुर्की ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम ख़रीद लिए क्योंकि अमरीका पैट्रियट मिसाइलों की सप्लाई में टालमटोल कर रहा था।

सऊदी अरब वह पहला ग़ैर नैटो देश है जो पैट्रियट मिसाइल प्रयोग कर रहा है। सऊदी अरब ने अमरीका से भारी मात्रा में पैट्रियट मिसाइल ख़रीदे थे जिनकी क़ीमत 4 मिलियन डालर से 7 मिलियन डालर तक बताई जाती है। यमन युद्ध में जब सऊदी अरब ने ग़रीब पड़ोसी देश यमन के इंफ़्रास्ट्रक्चर को अपनी बमबारी से तबाह कर दिया और बड़ी संख्या में यमनी नागरिकों को मारा तो यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने भी जवाबी हमले शुरू किए। जवाबी हमलों से सऊदी अरब के सैनिक और आर्थिक प्रतिष्ठानों को भारी नुक़सान पहुंच रहा है। सऊदी अरब जहां सामरिक पटल पर बेबस होकर रह गया है वहीं आर्थिक मैदान में भी उसकी हालत बेहद ख़राब है। एक यमनी मिसाइल को हवा में तबाह करने के लिए सऊदी अरब को 3 से 5 पैट्रियट मिसाइल फ़ायर करने पड़ते हैं।

इस बीच आईएफ़एफ़ की एक रिपोर्ट से अरब सरकारों की नींद उड़ गई है। वित्तीय संस्था का कहना है कि वर्ष 2034 तक अरब सरकारें बुरी तरह बजट घाटे में जाएंगी और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और अन्य देशों से क़र्ज़ लेना पड़ेगा। फ़ार्स खाड़ी की अरब सरकारों के पास बड़ी मात्रा में धन था और उनका विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा था लेकिन जब से इन सरकारों ने सीरिया, इराक़, लीबिया और यमन जैसे देशों में युद्ध की आग भड़काई और वहां पानी की तरह पैसा बहाया है उस समय से इन सरकारों के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है।

अब देखना यह है कि यह सरकारें कब होश में आती हैं और कब यमन, लीबिया, सीरिया और अन्य देशों में इन सरकारों की विध्वंसक कार्यवाहियों पर विराम लगता है?