सीरिया में हज़रत ज़ैनब के रौज़े की रक्षा करते हुए शहीद होने वाले असग़र पाशापूर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में कई मोर्चों पर जनरल सुलेमानी का साथ दे चुके थे और वह उन लोगों में से थे जो हमेशा अपने कमांडर की रक्षा के लिए चिंतित रहते थे।
सूत्रों का कहना है कि जब यह दोनों योद्धा एक साथ युद्ध के मोर्चे पर होते थे तो पाशापूर अपने कमांडर को मोर्चे पर अधिक आगे बढ़ने से रोकते थे, ताकि कहीं उन्हें किसी तरह का कोई नुक़सान नहीं पहुंच जाए।
लेकिन जनरल सुलेमानी की शहादत के ठीक एक महीने बाद, 3 फ़रवरी को पाशापूर सीरिया के हलब शहर के दक्षिण में आतंकवादियों से लड़ते हुए जान की बाज़ी हार गए।
3 जनवरी को बग़दाद एयरपोर्ट के निकट अमरीका ने ड्रोन हमले में जनरल क़ासिम सुलेमानी और उनके साथी इराक़ी कमांडर अबू मेहदी को शहीद कर दिया था।
तेहरान के उपनगरीय इलाक़े शहरे रय के रहने वाले पाशापूर जनरल क़ासिम सुलेमानी के उन साथियों में से एक थे, जो 2011 में सीरिया संकट शुरू होने के बाद दमिश्क़ स्थित हज़रत ज़ैनब के रौज़े की रक्षा के लिए सीरिया गए थे।