AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
रविवार

2 फ़रवरी 2020

4:28:29 pm
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फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर सज रहा है जंग का मैदान, लंबी लड़ाई की शुरुआत कभी भी हो सकती है, अलग अलग पक्षों ने किस तरह संभाला मोर्चा?

फ़िलिस्तीन के बारे में अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने डील आफ़ सेंचुरी के नाम से जानी जाने वाली योजना की घोषणा कर दी। हालांकि इस योजना की सारी बातें पहले ही मीडिया में आ चुकी थीं अतः इसमें कोई नई बात नहीं थी।

इस ख़तरनाक साज़िश की औपचारिक घोषणा हो जाने के बाद अब एक तरफ़ फ़िलिस्तीनी हैं और दूसरी ओर इस्राईल है जबकि दोनों के समर्थन और सहायता के लिए कुछ ताक़तें मैदान में हैं।

अमरीका तो पूरी ताक़त से इस्राईल के साथ है और किसी भी क़ीमत पर डील आफ़ सेंचुरी को लागू करने की कोशिश कर रहा है। अमरीकी अधिकारी फ़िलिस्तीनियों को चिढ़ा भी रहे हैं कि वह चुपचाप से इसी योजना को मान लें क्योंकि इससे बेहतर योजना उन्हें कभी भी मिलने वाली नहीं है।

अमरीका के अलावा कुछ अरब देश भी इस भयानक साज़िश में इस्राईल के साथ हैं। इनमें सऊदी अरब, इमारात, बहरैन और ओमान जैसे देशों का नाम लिया जा सकता है। इन देशों का काम फ़िलिस्तीनी संगठनों को डराना और यह समझाना है कि वह डील आफ़ सेंचुरी को मान लें तो उनकी बहुत सी समस्याएं हल हो जाएंगी वरना दूसरी स्थिति में कुछ भी उनके हाथ नहीं लगेगा।

इमारात के विदेश मंत्री अब्दुल्लाह बिन ज़ाएद ने न्यूयार्क टाइम्ज़ का एक लेख अपने ट्वीटर हैंडल पर रिट्वीट किया जिसका शीर्षक था जब भी फ़िलिस्तीनियों ने कहा “नहीं” उनको नुक़सान उठाना पड़ा है। इस पर अब्दुल्लाह बिन ज़ायद की बड़ी आलोचना की गई। ट्वीटर पर यूज़र्स ने लिखा कि बिन ज़ायद फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनियों के साथ ग़द्दारी कर रहे हैं और यह कोई नई बात नहीं है।

फ़िलिस्तीनियों ने स्थिति का मुक़ाबला करने के लिए अपने संसाधनों का मूल्यांकन शुरू कर दिया है। महमूद अब्बास के अलफ़त्ह आंदोलन की बात की जाए तो वह बार बार फ़िलिस्तीनियों को निराश कर रहा है। इस बार फ़िलिस्तीनी प्रशासन ने क़ाहेरा में अरब लीग की बैठक में कहा है कि ओस्लो समझौते के तहत इस्राईल के साथ उसके जितने भी समझौते हुए थे उन्हें वह समाप्त कर रहा है इनमें सुरक्षा कोआर्डिनेशन का समझौता भी शामिल है। महमूद अब्बास की यह धमकी महत्वपूर्ण है लेकिन फ़िलिस्तीनियों को अब भी विश्वास नहीं है कि महमूद अब्बास अपनी धमकी पर अमल करेंगे।  

इस्राईल के ख़िलाफ़ संघर्ष करने वाले हमास और जेहादे इस्लामी जैसे संगठनों का मामला साफ़ है। उन्होंने पहले ही तय कर लिया है कि इस्राईल से वार्ता से कुछ भी हासिल नहीं होगा बल्कि उससे छीन कर लेना पड़ेगा। इन फ़िलिस्तीनी संगठनों के साथ इस्लामी और अरब देशों की आम जनता है जबकि ईरान के नेतृत्व वाला इस्लामी प्रतिरोध मोर्चा है जो कई देशों में फैला हुआ है। हमास संगठन ने अपने बयान में कहा है कि ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के कमांडर जनरल इसमाईल क़ाआनी ने हमास के नेता इसमाईल हनीया को फ़ोन करके कहा है कि उनका देश फ़िलिस्तीनी संगठनों के साथ मिलकर डील आफ़ सेंचुरी को नाकाम बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसमाईली क़आनी ने कहा कि हम शहीद क़ासिम सुलैमानी के मार्ग पर बढ़ते हुए फ़िलिस्तीन का भरपूर समर्थन जारी रखेंगे।