AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
रविवार

2 फ़रवरी 2020

4:23:50 pm
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ईरानी हमले में घायल व मरने वाले सैनिकों की संख्या पर पर्दा डालने की अमरीका की कोशिशें हुई नाकाम, यह संख्या है 245/134

अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने इराक़ में ईरान के मिसाइल हमले में घायल होने वाले सैनिकों की संख्या में चौथी बार वृद्धि करते हुए स्वीकार किया कि घायलों की संख्या 64 है।

8 जनवरी को इराक़ में अमरीकी सैन्य अड्डों पर ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के बाद, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने दावा किया था कि इन हमलों में किसी तरह का कोई जानी नुक़सान नहीं हुआ है।

लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद, अमरीकी अधिकारियों ने स्वीकार किया कि जनरल सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए किए गए ईरान के मिसाइल हमलों में 11 सैनिकों को ब्रेन इंजोरीज़ या दिमाग़ी चोट पहुंची है।

उसके बाद पेंटागन ने स्वीकार किया कि ईरानी हमले में घायलों की संख्या 36 है, उसके बाद कहा यह संख्या 50 है और गुरुवार को एस्पर ने एलान किया कि घायल सैनिकों की संख्या 64 है।

दिन ब दिन बदलते अमरीकी अधिकारियों के बयानों और झूठ से यह साफ़ ज़ाहिर है कि ट्रम्प प्रशासन ईरानी हमले के महत्व को कम करके दिखाने की कोशिश के साथ ही इस हमले में पहुंचने वाले भारी जानी नुक़सान को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रहा है।

ईरान ने 8 जनवरी की सुबह कुछ ही मिनटों के अंदर 11 मिसाइल दाग़े थे, इसलिए अमरीकी सैनिक भी उसी दौरान घायल हुए होंगे, लेकिन चरणबद्ध तरीक़े से घायलों की स्वीकारोक्ति बहुत कुछ कह रही है।

निश्चित रूप से ईरान की जवाबी कार्यवाही में अमरीकी सैनिक मरे भी हैं, लेकिन बदनामी और जग हंसाई के कारण वाशिंगटन इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहा है।

अगर अमरीका इस सच्चाई को स्वीकार करता है तो उस पर अपने सैनिकों की मौत का बदला लेने के लिए दबाव बढ़ जाएगा और ईरान पर हमले का मतलब होगा एक बड़ा युद्ध, और इलाक़े में मौजूद हज़ारों अमरीकी सैनिकों की मौत, जिससे अमरीका भाग रहा है।

रूस की एक न्यूज़ एजेंसी ने इस सच्चाई से पर्दा उठाते हुए लिखा है कि ईरान के मिसाइल हमलों से ट्रम्प प्रशासन को बड़ा झटका लगा, इसलिए कि अमरीका में इसी साल राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और टीवी स्क्रीन पर अमरीकी सैनिकों की लाशों की तस्वीरें ट्रम्प के चुनाव का सारा गुणा भाग बिगाड़ सकती हैं।

ट्रम्प को इतने बड़े पैमाने पर ईरान की जवाबी कार्यवाही की आशा नहीं रही होगी, इसलिए कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से 8 जनवरी 2020 तक किसी भी देश ने अमरीकी सैन्य अड्डे पर सीधे तौर पर हमला नहीं किया था।

ईरानी हमले ने ट्रम्प प्रशासन की नींद उड़ा दी और उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इस हमले में पहुंचने वाले भारी नुक़सान पर पर्दा कैसे डाला जाए।

वाशिंगनट ने पोस्ट ने ईरानी हमले के समय ऐनुल असद एयरबेस में मौजूद एक अधिकारी के हवाले से लिखा था कि एयरबेस पर जब मिसाइल आकर गिरे तो कमरे में मौजूद दो सैनिक उछलकर खिड़की से बाहर जाकर गिरे। इसके अलावा, कई अन्य सैनिक बेहोश होकर फ़र्श पर गिर पड़े।

वास्तविकता यह है कि ईरान के मिसाइल हमलों में घायल होने वाले अमरीकी सैनिकों की संख्या 245 है और मरने वालों की संख्या कम से कम 134 है।

इस हमले के बाद, अब अमरीकी अधिकारी कभी ईरान को युद्ध की धमकी नहीं दे सकेंगे, जो बात बात पर कहते थे कि तेहरान के ख़िलाफ़ सैन्य कार्यवाही समेत, तमाम विकल्प मेज़ पर मौजूद हैं।