AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

31 जनवरी 2020

5:06:49 pm
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क्या 2020 का साल यमन युद्ध की समाप्ति का साल होगा? यमनियों ने दक्षिणी सऊदी अरब में प्रतिष्ठानों पर अचानक बड़े हमले क्यों किए? मो

अगर इस नए साल में यमन युद्ध समाप्त हो जाता है और सऊदी अरब और इमारात की फ़ोर्सेज़ अपनी हार स्वीकार करके यमन से दूर हो जाती हैं और सऊदी सरकार यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन से शांति वार्ता शुरू कर देती है तो हमें कोई हैरत नहीं होगी।

कारण यह है कि राजधानी सनआ का दरवाज़ा कहे जाने वाले नेहम नामक इलाक़े में सऊदी अरब की समर्थक फ़ोर्सेज़ को यमनी सेना और स्वयंसेवी बलों यानी अंसारुल्लाह के संघर्षकर्ताओं ने बुरी तरह पराजित करने के बाद मारिब प्रांत में जो तेज़ प्रगति शुरू कर दी है उससे साफ़ ज़ाहिर है कि यमन युद्ध अब अपनी आख़िरी सांसें ले रहा है। स्टाकहोम के नाम से होने वाला समझौता तो मर चुका है। इस समय सऊदी अरब और यमन की सीमा पर जो हालात हैं उन्हें देखकर कोई भी आसानी से समझ सकता है कि यमनी सेना और अंसारुल्लाह आंदोलन के लड़ाकों ने सऊदी गठबंधन के सैनिकों की हालत पतली कर दी है।

यमन युद्ध में अंसारुल्लाह की पोज़ीशन बहुत मज़बूत हो चुकी है। अंसारुल्लाह से जुड़ी फ़ोर्सेज़ के प्रवक्ता यहया अस्सरीअ ने बुधवार को कहा कि अंसारुल्लाह आंदोलन की फ़ोर्सेज़ ने दक्षिणी सऊदी अरब में आरामको के प्रतिष्ठान, अबहा और जीज़ान एयरपोर्ट और ख़मीस मुशैयत छावनी सहित दर्जनों सैनिक व आर्थिक प्रतिष्ठानों पर जमकर मिसाइल बरसाएं हैं। उन्होंने साथ ही इन हमलों की वीडियो और तसवीरें भी जारी कीं।

प्रवक्ता के अनुसार यह बड़ा हमला सऊदी गठबंधन की ओर से हालिया दिनों किए गए हमलों का जवाब है। लगता है कि सऊदी अरब के हमलों के जवाब में दक्षिणी सऊदी अरब के मुख्य प्रतिष्ठानों पर मिसाइल और ड्रोन विमानों से हमले की रणनीति कारगर साबित हो रही है।

हम यह बात मानते हैं कि अंसारुल्लाह को ईरान से समर्थन मिल रहा है और यह संगठन इसका इंकार भी नहीं करता बल्कि उसका तो कहना है कि वह उस शक्तिशाली प्रतिरोधक मोर्चे का हिस्सा है जिसका नेतृत्व ईरान कर रहा है। इसमें कोई हरज भी नहीं है। क्योंकि जब सऊदी अरब अरबों डालर ख़र्च करके अमरीका से हथियारों के सौदे कर रहा है, जब उसने अपने प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए 3000 अमरीकी सैनिक बुलाए हैं और इसके बदले में एक अरब डालर दे रहा है तो अंसारुल्लाह को भी अधिकार है कि वह ईरान की मदद ले।

सूडान की नई सरकार ने घोषणा कर दी है कि उसने यमन में लड़ने वाले 10 हज़ार सूडानी सैनिकों को वापस बुला लिया है और अन्य 5 हज़ार सूडानी सैनिकों को वापस बुलाने की योजना बना रही है क्योंकि यह सैनिक यमन में लगातार मारे जा रहे हैं, दूसरी ओर इमारात सरकार ने भी अपने सैनिकों की संख्या यमन में बहुत कम कर ली है और अपने शहरों और प्रतिष्ठानों को अंसारुल्लाह के हमलों से बचाने के लिए वह ईरान से बातचीत कर रही है क्योंकि वह आरामको के प्रतिष्ठानों पर यमन के हमलों को देखकर बुरी तरह सहमी हुई है, जब सऊदी अरब के प्रतिष्ठानों की रक्षा के लिए तैनात किए गए मिसाइल ढाल सिस्टम काम नहीं कर रहे हैं और प्रतिष्ठानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले लगातार हो रहे हैं तो इसका मतलब साफ़ है कि अब यह युद्ध समाप्त होने वाला है और यमन के अंसारुल्लाह आंदोलन की शर्तों के अनुरूप समाप्त होगा। सऊदी गठबंधन को अब सारी शर्तें माननी पड़ेंगी।

बस इंतेज़ार कीजिए और देखते जाइए!