प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, सऊदी शासन ने हर मस्जिद के लिए एक स्थानीय प्रशासनिक परिषद की स्थापना का भी एलान किया है, ताकि स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर इन मस्जिदों को "सुरक्षित हाथों" के हवाले किया जा सके।
मंत्री ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि जेनेवा मस्जिद को स्विस अधिकारियों के हवाले कर दिया जाए।
ईसा का कहना था कि सऊदी अरब द्वारा दुनिया भर में निर्माण की गई अन्य मस्जिदों के बारे में भी यही क़दम उठाया जाएगा।
ग़ौरतलब है कि सऊदी अरब ने 20वीं शताब्दी में तेल से होने वाली बेतहाशा दौलत को दुनिया भर में कट्टरपंथी विचारधारा वहाबियत के प्रचार प्रसार पर पानी की तरह बहाया, जिसके नतीजे में 21वीं शताब्दी में दाइश जैसे तकफ़ीरी आतंकवादी गुटों ने जन्म लिया और इस्लाम की छवि ख़राब की।
लेकिन तेल की क़ीमतों में भारी गिरावट और हथियारों पर अरबों डॉलर ख़र्च करने के कारण, पिछले कई वर्षों से भारी बजट घाटे का सामना करने वाले इस आले सऊद शासन ने अब वहाबियत के प्रचार पर पैट्रो डॉलर बहाने कम कर दिए हैं और देश में डिस्को क्लब और शराब ख़ाने खोलना शुरू कर दिए हैं।