3 जनवरी को बग़दाद एयरपोर्ट के निकट अमरीकी हमले में ईरान के कमांडर जनरल सुलेमानी और इराक़ी कमांडर अल-मोहंदिस के शहीद होने के बाद, बग़दाद और वाशिंगटन के बीच तनाव बढ़ गया था।
इराक़ी सरकार और संसद ने अमरीकी सैनिकों को बाहर निकालने का भी आदेश जारी कर दिया था, लेकिन फ़िलहाल ट्रम्प सरकार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है।
बुधवार को स्विट्ज़रलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच के इतर एक रिज़ॉर्ट में सालेह ने ट्रम्प के साथ मुलाक़ात की। जनरल सुलेमानी और अबू मोहंदिस की हत्या के बाद, किसी वरिष्ठ इराक़ी नेता की अमरीकी राष्ट्रपति से यह पहली मुलाक़ात है।
इराक़ में दाइश के ख़िलाफ़ अहम भूमिका निभाने वाले हिज़्बुल्लाह संगठन ने चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने ट्रम्प से मुलाक़ात की तो बग़दाद वापसी पर उनका स्वागत नहीं किया जाएगा और यह इराक़ी जनता की भावनाओं को चोट पहुंचाना होगा।
हश्दुश्शाबी के डिप्टी कमांडर अबू मेही अल-मोहंदिस कतायब हिज़्बुल्लाह के नेता थे।
कतायब हिज़्बुल्लाह के सुरक्षा अधिकारी अबू अली अल-असकरी ने ट्वीट करके कहा थाः हम बरहम सालेह से मांग करते हैं कि वह मूर्ख ट्रम्प और उनके साथ आने वाली हत्यारी टीम से मुलक़ात न करें। लेकिन अगर उन्होंने ऐसा किया तो हम उनसे कहेंगे कि आपका बग़दाद में स्वागत नहीं है, हम अपने लोगों से भी कह देंगे कि वे उन्हें बग़दाद से बाहर निकलाने के लिए आज़ाद हैं।
ऐसी ही चेतावनी अल-नुजबा और इराक़ के अन्य संगठनों व राजनीतिक दलों ने भी जारी की थी।
अल-नुजबा ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर सालेह ने ट्रम्प से मुलाक़ात की तो इराक़ी जनता एक ऐसे अपराधी और आतंकवादी से हाथ मिलाने वाले को स्वीकार नहीं करेगी, जिसके हाथ इराक़ियों के ख़ून में सने हैं।
इराक़ के कई सांसदों और अधिकारियों ने भी राष्ट्रपति बरहम सालेह को चेतावनी दी थी कि वह राष्ट्रीय सम्मान का ख़याल रखें और दावोस में ट्रम्प से मुलक़ात नहीं करें।
इराक़ के उप संसद सभापति हसन करीम अल-काबी ने कहा था कि दावोस की यात्रा करने वाले इराक़ी अधिकारी अमरीकी प्रतिनिधिनमंडल से मुलाक़ात करने से बचें।
अल-काबी का कहना था कि संसद ने विदेशी सैनिकों को देश की सरज़मीन से बाहर निकलाने का साहसी फ़ैसला लिया था, इसिलए इराक़ी अधिकारी भी ट्रम्प और दूसरे अमरीकी अधिकारियों का बहिष्कार करें और उनसे मुलाक़ात नहीं करें।