जब ब्रिटेन के समाचार पत्र गार्डियन अपनी रिपोर्ट में यह लिखता है कि ईरान की आईआरजीसी की कुद्स फोर्स के कमांडर, जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के पीछे अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो का दिमाग है और यह काम उन्होंने इस्राईल की खुफिया एजेन्सी मोसाद के सहयोग से किया है तो फिर इसका साफ मतलब यह है कि अमरीका, मध्य पूर्व में टारगेट किलिंग के युद्ध के जाल में फंस चुका है और यह वह युद्ध है जिसमें अमरीका को लाभ नहीं मिलेगा बल्कि सत्तर और अस्सी के दशक में अमरीका द्वारा किये युद्धों की तुलना में उसे काफी नुक़सान भी पहुंचेगा।
हम यह मानते हैं कि कासिम सुलैमानी की हत्या विदेशमंत्री पोम्पियो के लिए एक बड़ी कामयाबी है क्योंकि क़ासिम सुलैमानी, बहुत अधिक सूझबूझ के मालिक और बड़े रणनीतिकार थे और क्षेत्र में इस्राईल, दाइश की पराजय, इराक़ के विभाजन की मसऊद बारेज़ानी की योजना की नाकामी, यमन में सऊदी अरब की हार जैसी उपलब्धियों का सेहरा उनके सिर बांधा जाता है, मगर उनकी यह कामयाबी, खतरों भरी है और उसके परिणाम, इराक़ से अमरीकी सैनिकों को खदेड़ने की कोशिश के रूप में सामने आना शुरु हो गये हैं।
अमरीकी विदेशमंत्री माइक पोम्पियो ईरान के सिलसिले में जुनून का शिकार हैं और उनके इस जुनून से मध्य पूर्व में अगर सब नहीं तो अधिकांश अमरीकी योजनाओं पर पानी फिरता नज़र आ रहा है। उन के जुनून की वजह से इस्राईल का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है इस लिए हमें यह लगता है कि इस तरह के जुनून में ग्रस्त जॉन बोल्टन का जो अंजाम हुआ है वही, माइक पोम्पियो का भी इंतेज़ार कर रहा है।
अमरीकी रक्षा मंत्री मार्क इस्पर ने साफ शब्दों में कहा है कि माइक पोम्पियो की इस दावे का कोई सुबूत नहीं है कि ईरान अमरीका का चार दूतावासों पर हमला करना चाहता था। यह वही दावा है जिसे अमरीका जनरल क़ासिम सुलैमानी, अबू मेहदी अलमुहन्दिस और उसके साथियों की हत्या के लिए बहाने के तौर पर पेश करता है। अमरीकी रक्षा मंत्री के इस बयान से पता चलता है कि पोम्पियो का जुनून और उससे अमरीका के लिए खतरों की धमक ट्रम्प के कानों तक पहुंचने लगी है।
ईरान और इराक़ का मोर्चा निश्चित रूप से क़ासिम सुलैमानी की हत्या का भयानक बदला लेगा और इसकी तैयारी भी शुरु हो चुकी है जिसका पता जनरल कासिम सुलैमानी की जगह कुद्स ब्रिगेड की कमान संभालने वाले जनरल क़ाआनी से इराक़ी स्वंय सेवी बल में शामिल 6 संठगनों के कमांडरों की भेंट है जिसमें जनरल क़ाआनी ने उन्हें इराक़ में अमरीका की 18 छावनियों से अमरीकी सैनिकों को खदेड़ने के लिए होने वाले आगामी युद्ध में हर प्रकार की मदद का यक़ीन दिलाया है।
इराक़ी ट्रम्प की ब्लैकमेलिंग या उनके 35 अरब डॉलर हड़पने की धमकियों से डरने वाले नहीं है क्योंकि अमरीका व इराक़ के मध्य होने वाले समझौते के पांचवे अनुच्छेद के अनुसार इराकी सरकार की मांग पर अमरीका को तत्काल अपनी सारी छावनियां खाली करना पड़ेगा।
कुदस फोर्स के कमांडर, जनरल इस्माईल क़ाआनी ने इराक़ी स्वंय सेवी बल के कमांडरों से भेंट में यह बयान देकर मानो बम का धमाका कर दिया कि मेसोपोटामिया अर्थात सीरिस से लेकर इराक के बीच का क्षेत्र अगले युद्ध का मैदान बनेगा और इसके लिए अच्छी तरह से तैयार हो जाएं।
माइक पोम्पियो और नेतेन्याहू ने टारगेट किलिंग के जिस युद्ध की शुरुआत की है वह निश्चित रूप से दोनों ओर से आगे बढ़ेगा लेकिन प्रतिरोध मोर्चे की ओर से अधिक तेज़ी के साथ यह लड़ाई आगे बढ़ेगी इस लिए नहीं कि इस मैदान में वह अनुभव रखता है बल्कि इस लिए कि इस्लामी और अरब जगत में अमरीका और इस्राईल के लिए नफरत बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से क्षेत्र के हज़ारों युवा, अपनी जान हथेली पर रख कर इस युद्ध में कूदने के लिए तैयार हैं।
क्या मैं आप को वदी हद्दाद, एमाद मुगनिया, सलाह खलफ, फत्ही शेक़ाक़ी, यहया एयाश की टारगेट किलिंग और हमास और इस्लामी जेहाद के आत्मघाती हमलों, दूतावासों की तबाही, विमान अपचालन जैसी घटनाओं और इन्हें रोकने के पश्चिमी देशों की गुहार की याद दिलाऊं ? क्या ट्रम्प, पोम्पियो और नेतेन्याहू फिर से वही सब कुछ चाह रहे हैं?
पोम्पियो ने ज़हरीले और बेहद खतरनाक सांपों से भरे पिटारे का मुंह खोल दिया है और अगर जल्दी से पीछे नहीं हटे तो सब से पहले उन्हीं को डसा जाएगा।