AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

11 जनवरी 2020

3:51:27 pm
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आतंकवादी अमरीका के हमले में जनरल सुलेमानी की मौत पर आतंकवादी गुट दाइश ने मनाया जश्न

तकफ़ीरी आतंकवादी गुट दाइश ने अपने सहयोगी अमरीका के हाथों ईरान के जनरल क़ासिम सुलेमानी की हत्या पर ख़ुशी ज़ाहिर की है।

जनरल सुलेमानी अपने कुछ साथियों के साथ 3 जनवरी को तड़के बग़दाद एयरपोर्ट पर पहुंचे थे, जहां उनके स्वागत के लिए इराक़ी स्वयं सेवी बल हश्दुश्शाबी के डिप्टी कमांडर अबू मेहदी अल-मोहंदिस पहुंचे थे।

जैसे ही जनरल सुलेमानी और अल-मोहंदिस की कारों का क़ाफ़िला एयरपोर्ट से बाहर निकला, अमरीकी ड्रोन विमान ने उस पर कई मिसाइल फ़ायर किए, जिसके नतीजे में दोनों सीनियर कमांडरों समेत 10 लोगों की मौत हो गई।

जनरल सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ईरान ने बुधवार को इराक़ में अमरीका के दो सैन्य ठिकानों पर मिसाइल बरसाए थे।

कुछ समय पहले तक सीरिया और इराक़ के एक बड़े क्षेत्र पर क़ब्ज़ा करके दाइश की ख़िलाफ़त की स्थापना का एलान करने वाले इस ख़ूंख़ार आतंकवादी गुट को पराजित करने और उसका सफ़ाया करने में जनरल सुलेमानी की युद्ध रणनीतियों ने प्रभावी भूमिका निभाई थी।

दाइश से जुड़ी एक पत्रिका अल-नबा ने अमरीका के हाथों जनरल सुलेमानी की हत्या पर ख़ुशी जताते हुए इसे ईश्वर का कार्य बताया है।

आतंकवादी गुट की इस पत्रिका के संपादकीय में जनरल सुलेमानी का नाम लिए बग़ैर "रोमन-पर्शिया युद्धों" का ज़िक्र करते हुए पर्शिया वर्तमान ईरान और रोमन साम्राज्य के कुछ हिस्सों पर मुसलमानों की फ़तह का उल्लेख किया गया है।

अमरीका के नेतृत्व वाले तथाकथित अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन द्वारा इराक़ में दाइश के ख़िलाफ़ ऑप्रेशन रोकने के एलान की ओर इशारा करते हुए संपादकीय में कहा गया है कि इससे इस आतंकवादी गुट को फिर से संगठित होने में मदद मिलेगी।

हालांकि इराक़ और सीरिया में दाइश के क़ब्ज़े वाले सभी इलाक़ों को आज़ाद करा लिया गया है,  लेकिन अभी इस गुट को पूरी तरह से नष्ट नहीं किया जा सका है और इसके बचे-खुचे तत्व आज भी आतंकवादी कार्यवाहियां अंजाम दे रहे हैं।

अमरीका पर आरोप है कि उसने इस्राईल और अपने कुछ अरब सहयोगी देशो के साथ मिलकर सीरिया और इलाक़े के कई देशों की सरकारों के पतन के लिए दाइश का गठन किया था।

इराक़ की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने दाइश के गठन में अमरीका के सहयोग बात स्वीकार की थी। इसके अलावा, अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने 2016 में अपने राष्ट्रपति चुनाव प्रचार में ओबामा प्रशासन पर दाइश को जन्म देने का आरोप लगाया था।

दिलचस्प बात यह है कि दाइश के ख़िलाफ़ लड़ाई के बहाने एक फिर इराक़ में पैर जमाने वाला अमरीका, आतंकवाद के ख़िलाफ़ युद्ध के दौरान कई बार इराक़ी सुरक्षा बलों को निशाना बना चुका है।

2017 में इराक़ी बलों ने जब दाइश के आतंकवादियों को पराजित किया तो उनके क़ब्ज़े से आज़ाद हुए कई इलाक़ों से अमरीकी हथियार और खाने के पैकेट ज़ब्त किए थे।

जनरल सुलेमानी की मौत के बाद इराक़ी संसद ने एक बिल पास करके इराक़ी सरकार से कहा था कि वह देश की सरज़मीन से अमरीका समेत समस्त विदेशी सैनिकों को निकाल बाहर करने की व्यवस्था करे।

ईरान ने भी एलान किया है कि जनरल सुलेमानी की मौत का बदला इस पूरे छेत्र से अमरीकियों को बाहर करके लिया जाएगा।

8 जनरवी को इराक़ में अमरीकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले के बाद से अमरीका के कई सहयोगी देशों ने इराक़ से अपने सैनिकों को बाहर निकाल कर कुवैत या जॉर्डन रवाना कर दिया था।

हालांकि अमरीकी अधिकारी इराक़ में बने रहने पर बल दे रहे हैं, लेकिन बग़दाद का कहना है कि विदेशी सैनिकों को इराक़ से निकलना ही होगा और आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में उसे अब किसी विदेशी ताक़त की ज़रूरत नहीं है।