AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

10 जनवरी 2020

1:29:35 pm
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अमरीका की आतंकवादी सरकार द्वारा आईआरजीसी के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या के कुछ अहम और तुरंत परिणाम सामने आए हैं।

  1. शहीद लेफ़्टिनेंट जनरल क़ासिम सुलैमानी और उनके साथियों की आतंकवादी कार्यवाही में हत्या का सबसे पहला परिणाम संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की फ़ज़ीहत और उसकी हैसियत ख़त्म होना है। राष्ट्र संघ के घोषणापत्र की धारा 24 के पहले ही अनुच्छेद के अनुसार विश्व की शांति व सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सुरक्षा परिषद पर है। अमरीकी सरकार ने औपचारिक रूप से स्वीकार किया है कि उसने आईआरजीसी की क़ुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या की है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाख़ारोवा ने कहा है कि अमरीका की यह कार्यवाही, ताक़त के ग़ैर क़ानूनी इस्तेमाल को स्पष्ट करती है। सुरक्षा परिषद ने, जो छोटे से छोटे मामले पर भी बैठक करती है, अमरीका की आतंकी सरकार के इस अपराध पर, कोई भी क़दम नहीं उठाया है जिससे उसकी साख पर बट्टा लग गया है।
  2. अमरीकी सरकार की इस आपराधिक कार्यवाही का एक और अहम परिणाम, आतंकी गुट दाइश को मौक़ा देना है। जनरल सुलैमानी, इस आतंकी गुट से संघर्ष में सबसे आगे थे और सीरिया व इराक़ में इस गुट की पराजय में उन्होंने सबसे अहम रोल निभाया था। दाइश के समाचारपत्र अन्नबा ने अपने संपादकीय में अमरीका की इस आतंकवादी कार्यवाही पर ख़ुशी जताई है।
  3. जनरल सुलैमानी की हत्या का एक और अहम परिणाम, अमरीका की साख को भारी नुक़सान पहुंचना है। एक ओर दुनिया पर राज करने का दावा करने वाली अमरीकी सरकार ने एक आतंकी कार्यवाही की और उसे औपचारिक रूप से स्वीकार भी किया जबकि दूसरी ओर ईरान ने इराक़ में स्थित अमरीका के अहम एयर बेस ऐनुल असद पर मीज़ाइलों की बारिश करके आतंकी अमरीकी सरकार के अपराध का कड़ा जवाब दिया। इन दोनों घटनाओं से क्षेत्रीय स्तर पर भी और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अमरीका की साख पर बट्टा लगा है। फ़िलिस्तीनी टीकाकार वासिफ़ अरीक़ात का कहना है कि अमरीकी छावनी पर ईरान का मीज़ाइल हमला बड़ा मूल्यवान था क्योंकि ठीक उसी स्थान को निशाना बनाया गया जहां से उड़ने वाले ड्रोन ने जनरल सुलैमानी की हत्या की थी। ऐनुल असद एयरबेस, क्षेत्रफल के हिसाब से अमरीका का दूसरा बड़ा एयरबेस है और इसमें 5000 अमरीकी सैनिक रह सकते हैं। यह एयरबेस अत्यंत विकसित रडारों व सुरक्षा उपकरणों से लैस है लेकिन ये रडार ईरानी मीज़ाइलों का पता न लगा सके। यह अमरीका के लिए दूसरा कड़ा झटका है जो अपने एयर डिफ़ेंस और रडार सिस्टम पर घमंड करता है। इस वार के बाद क्षेत्र में अमरीका की हैसियत ख़त्म हो गई है और यह चीज़ अमरीकी सैनिकों के मारे जाने से भी ज़्यादा अहम है। अमरीका, ख़ुद को पहुंचने वाले नुक़सान को खुल कर नहीं मानेगा लेकिन ऐनुल असद एयरबेस के डिफ़ेंस सिस्टम, ड्रोन और अन्य अहम प्रतिष्ठानों को नुक़सान पहुंचा है।
  4. जनरल क़ासिम सुलैमानी की हत्या का चौथा अहम परिणाम, ईरान की प्रतिरोधक शक्ति का सिद्ध होना और क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे का कमज़ोर पड़ना है। ईरान के एक टीकाकार सैयद जलाल दहक़ानी कहते हैं कि जनरल सुलैमानी की हत्या ने क्षेत्र में प्रतिरोधकर्ता मोर्चे के विरोधी ख़ैमे को कमज़ोर बना दिया है और क्षेत्र से अमरीका के निकलने का रास्ता खोल दिया है क्योंकि अमरीका के अंदर से ट्रम्प पर इराक़ व सीरिया से बाहर निकलने के लिए भारी दबाव है। उन्होंने अपने पहले राष्ट्रपति चुनाव के अभियानों में भी इस बात का वादा किया था कि वे मध्यपूर्व से अमरीकी सेना को वापस बुलाएंगे।