AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

27 दिसंबर 2019

3:01:50 pm
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फ़िलिस्तीनी राष्ट्र को नष्ट करने की ख़ुद की लगाई में स्वयं भस्म हो गए नेतनयाहू!

इस्राईल में पिछले एक साल में दो चुनाव हो चुके हैं, अब वह तीसरे चुनाव की ओर है मार्च 2020 में होने वाले चुनावों के बाद नेतनयाहू का भविष्य तय हो जाएगा, लेकिन माना जा रहा है कि ज़ायोनी शासन में अब नेतनयाहू के लिए कोई स्थान नहीं बचा है।

इस्राईल में मार्च, 2020 में फिर से आम चुनाव होंगे। यह पिछले एक साल में तीसरी बार होने जा रहे चुनाव हैं। इससे पहले अप्रैल और सितंबर 2019 में भी चुनाव हुए थे। इस बार उम्मीद जताई जा रही है कि ज़ायोनी शासन को एक स्पष्ट बहुमत वाली नई सरकार मिलेगी। पिछले 11 महीनों से यह शासन एक कार्यवाहक सरकार के भरोसे चल रही है। उम्मीद थी कि बीते चुनावों में इस सरकार को नया बहुमत मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इस सरकार के मुखिया हैं बिन्यामिन नेतनयाहू जो इस्राईल के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे हैं। साथ ही वह पहले प्रधानमंत्री हैं जिन पर पद पर रहते हुए ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी नेतनयाहू को एक तानाशाह, अत्याचारी, हत्यारे और झूठे नेता के तौर पर पहचाना जाता है।

 

नेतनयाहू इस्राईल में दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी लिकुड पार्टी के नेता हैं और जब भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप आधिकारिक रूप से सामने आए, तो उन्होंने इसे उन्हें और सरकार को अस्थिर करने की साज़िश का नाम दिया। जब तक नए चुनावों की तारीख़ घोषित नहीं की गई थी तब तक वह कहते रहे कि वह ही इस्राईल को राजनीतिक संकट से बचा सकते हैं। जब उनकी पार्टी के ही नेताओं ने उन पर सवाल उठाने आरंभ कर दिए तो वह इसको लेकर चिंतित दिखाई देने लगे और कहने लगे कि उनको ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री पद से दूर रखने के लिए ग़लत तरीके से कोशिश हो रही है। नेतनयाहू जब से ज़ायोनी शासन के प्रधानमंत्री बने हैं तबसे इस्राईल का वास्तविक रूप दुनिया के सामने खुलकर आया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में फ़िलिस्तीनियों पर जमकर अत्याचार किए, फ़िलिस्तीनियों की ज़मीनों को हड़पा और यहां तक की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के साथ मिलकर बैतुल मुक़द्दस को ज़ायोनी शासन की राजधानी घोषित कर दी। इन सबके बीच एक बात जो सामने आई वह यह है कि पूरी दुनिया के सामने अब यह साफ हो गया है कि इस्राईल एक अवैध राष्ट्र है जिसने फ़िलिस्तीनी मुसलमानों की ज़मीनों को हड़प कर एक शासन स्थापित किया है।

 

नेतनयाहू के नेतृत्व में ज़ायोनी शासन को पूरी दुनिया में एक हत्यारे शासन की पहचान मिलने के बाद अब स्वयं इस्राईली युवाओं विशेषकर नेतनयाहू की ही, लिकुड पार्टी के युवा मोर्चा के सैकड़ों सदस्यों ने नए नेतृत्व की मांग की है। युवाओं का कहना है कि जिस व्यक्ति के कारण आज ज़ायोनी शासन और इस शासन में रहने वाले लोगों को दुनिया भर के लोग नफ़रत की नज़र से देख रहे हैं उसे हटाकर उसकी जगह किसी और को लिकुड पार्टी अपना उम्मीदवार बनाए। यहां तक की इन लोगों ने उम्मीदवारों की एक सूची भी जारी की है। विरोध करने वाले युवाओं से  नेतनयाहू इतना क्रोधित हुए कि उन्होंने युवाओं को पार्टी से बाहर निकाल दिया। वहीं कुछ लोगों की सदस्यता की समीक्षा की जा रही है। हालांकि ये लोग अब सीधा नेतनयाहू पर निशाना साध रहे हैं। नेतनयाहू के कार्यकाल में ऐसा पहली बार हुआ है जब उनकी पार्टी में ही उनका इतने बड़े स्तर पर आंतरिक विरोध किया किया जा रहा हो। गिडेओन सार जो लिकुड पार्टी के सदस्य हैं और कई वर्ष तक सांसद और मंत्री रहे हैं, उन्हें नेतनयाहू के एक विकल्प के तौर पर देखा जाने लगा है।

 

जानकारों का कहना है कि मार्च में होने वाले चुनावों का नतीजा भी पिछले दो चुनावों जैसा ही आने वाला है। इसकी वजह है कोई बड़ा राजनीतिक फेरबदल ना होना। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम जैसे नेतनयाहू का ट्रायल शुरू हो जाए तो नतीजे कुछ बदल सकते हैं। सब लोग यही उम्मीद कर रहे हैं कि ये गतिरोध की स्थिति ख़त्म हो और इन चुनावों का कोई निर्णायक परिणाम निकलकर सामने आए। अभी किसी को नहीं लगता कि गिडेओन सार नेतनयाहू को हटाकर उनकी जगह ले सकते हैं। लिकुड पार्टी में कभी भी पद पर आसीन नेता को हटाकर दूसरा नेता नहीं बनाया गया ह, लेकिन सार समर्थक युवा समूह को लगता है कि धीरे-धीरे नेतनयाहू का समय ख़त्म हो रहा है। अब उनका राजनीतिक करियर ढलान पर है, कुछ राजनीतिक विश्लेषक अभी से नेतनयाहू के बाद के समय की चर्चा कर रहे हैं। जानकारों की माने तो मध्यपूर्व और विशेषकर फ़िलिस्तीन में जिस आग को भड़का कर नेतनयाहू अपने राजनीतिक सफ़र की रोटियां सेंक रहे थे, अब वही आग नेतयनयाहू के राजनीतिक सफ़र को जला रही है और आने वाले दिनों में दुनिया देखेगी कि कैसे नेतनयाहू अपनी ही जलाई हुई आग में भस्म होते हैं।