AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
गुरुवार

5 दिसंबर 2019

5:09:25 pm
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17 वर्षीय फ़िलिस्तीनी लड़के को इस्राईली सैनिकों ने 355 दिन बाद बैग में लपेटकर वापस लौटाया

बैसाखी के सहारे चलने वाले 17 वर्षीय फ़िलिस्तीनी लड़के इमाद ख़लील इब्राहीम शाहीन को इस्राईली सैनिकों ने 355 दिन पहले ज़िंदा पकड़ लिया था, लेकिन एक बैग में लपेटकर उनकी लाश को वापस लौटाया है।

शाहीन के परिजन, अन्य फ़िलिस्तीनी नागरिक और कई इस्राईली एनजीओज़ का बस एक ही सवाल है कि इस्राईली सेना ने 17 वर्षीय फ़िलिस्तीनी लड़के की लाश को इतने दिन क्यों अपने क़ब्ज़े में रखा और जब उनकी टांग में गोली मारकर पकड़ा गया था, तो हिरासत के दौरान उनकी जान कैसे चली गई।

शाहीन 9 बच्चों में सबसे छोटे थे, जिनके पिता एक स्कूल में चौकीदारी करके कम लेकिन सम्मानजनक वेतन हासिल करते थे।  

उनकी बहन मुनीरा का कहना है कि उनका छोटा भाई परिवार के अन्य सदस्यों की तरह ग्रेट रिटर्न मार्च आंदोलन में भाग लेने के लिए उत्साहित रहता था।

गज्ज़ा पट्टी में रहने वाले फ़िलिस्तीनी मार्च 2018 से हर शुक्रवार को सीमा पर लगी बाड़ के निकट पिछले 11 साल से जारी घेराबंदी और अपने घरों को वापसी की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं।

17 मई 2018 को शाहीन जब ग़ज्ज़ा पट्टी की सीमा पर लगी बाड़ के निकट विरोध प्रदर्शन में शामिल थे और बाड़ के दूसरी ओर तैनात इस्राईली स्नाइपरों के दृश्य में रुकावट डालने के लिए टायर जला रहे थे, एक इस्राईली स्नाइपर ने उनकी टांग पर गोली मार दी।

मुनीरा का कहना है कि उनका उपचार हुआ और वे जल्द ही स्वस्थ होने लगे और केवल दो हफ़्तों के बाद फिर से प्रदर्शनों में शामिल हो गए।

वे कहती हैं कि ज़ख़्मी होने के बावजूद प्रदर्शनों में भाग लेने की अपनी तस्वीरें जब वे सोशल मीडिया में देखते थे तो गर्व करते थे और ख़ुद को प्रदर्शनों के प्रतीक के रूप में देखते थे।

21 शुक्रवार के बाद, इस्राईली स्नाइपर ने एक बार फिर शाहीन की उसी टांग पर गोली मार दी जो पहले से ज़ख़्मी थी। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर वे प्रदर्शनों में शामिल हुए।

लेकिन जब तीसरी बार उनकी दूसरी टांग पर इस्राईली सैनिकों ने गोली मारी तो चिकित्सकों को उनके पैर का कुछ भाग काटना पड़ा।

मुनीरा का कहना है कि हमारी मां ने फिर से प्रदर्शनों में शामिल होने से उन्हें रोकना चाहा। परिवार के सभी सदस्यों ने उनसे कहा कि वे अपने वतन के लिए अपनी ज़िम्मेदारी पूरी कर चुके हैं और अब उन्हें घर पर ही आराम करना चाहिए। लेकिन उन्होंने जवाद दिया कि मौत से उन्हें डर नहीं लगता है और वे अपने वतन के लिए शहीद होना चाहते हैं।

3 नवम्बर 2018 को बाड़ के निकट इस्राईली सैनिकों ने बाड़ के निकट एक बार फिर शाहीन की टांग पर गोली मार दी।

चश्मदीद गवाहों का कहना है कि गोली लगने के बाद इस्राईली सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया और घायल होने के क़रीब 20 मिनट बाद एक हेलिकॉप्टर में डालकर ले गए। उसके बाद से 23 अक्तूबर तक शाहीन की कोई ख़बर नहीं मिली, जब इस्राईल ने एक बैग में लपेटकर उनके शव को उनके परिजनों के हवाले किया।