बैठक में शामिल लोगों ने बैठक की समाप्ति के बाद एक बयान जारी करके मुस्लिम देशों में अमरीका की हस्तक्षेपपूर्ण कार्यवाहियों की निंदा की।
इस बयान में आया है कि इस्लाम के दुश्मन और इनमें सबसे आगे अमरीका और ज़ायोनी शासन मुसलमानों की जान, इज़्ज़त और उनकी संपत्तियों पर क़ब्ज़ा जमाने और अवैध इस्राईल की सुरक्षा को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।
दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी चेतना परिषद के महासचिव ने कहा है कि अमरीका के नेतृत्व में विश्व साम्राज्यवाद क्षेत्र में ज़ायोनी शासन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तरीक़ों से इस्लाम के विस्तार के मार्गों में रुकावटें पैदा करने का प्रयास कर रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मामलों में वरिष्ठ नेता के सलाहकार और अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी चेतना परिषद के महासचिव डाक्टर अली अकबर विलायती ने शनिवार को तेहरान में अंतर्राष्ट्रीय इस्लामी चेतना परिषद की 12वीं बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि गोलान हाइट्स को अतिग्रहणकारी ज़ायोनी शासन को देना, ज़ायोनी सैनिकों को सशस्त्र करना और कुछ रूढ़ीवादी अरब देशों के ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों के ख़राब होने का भय, वे विषय हैं जिनके लिए अमरीका ने इस्राईल और कुछ रूढ़ीवादी अरब शासकों की सांठगांठ और आपसी सहयोग से इस्लामी जगत के विरुद्ध एक योजना बनाई है।
डाक्टर अली अकबर विलायती ने अमरीका और उसके घटकों के मुक़ाबले के लिए प्रतिरोधक मोर्चे की सक्रिय गतिविधियों की ओर संकेत करते हुए कहा कि दुश्मन, नये षड्यंत्रों के अंतर्गत लेबनान और इराक़ की ख़राब स्थिति को जासूसी के नेटवर्क द्वारा ख़राब करना चाहते हैं।