AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शुक्रवार

29 मार्च 2019

5:56:16 pm
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फ़िलिस्तीनियों के वापसी मार्च की पहली वर्षगांठ, 275 शहीद, 30 हज़ार घायल

फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारी 30 मार्च 2018 से हर शुक्रवार को ग़ज्ज़ा की सीमा पर वापसी मार्च का आयोजन करते हैं।

पिछले एक साल के दौरान, फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने अपने वापसी के अधिकार और ग़ज्ज़ा परिवेष्टन की समाप्ति की मांग को लेकर काफ़ी क़ुर्बानियां दी हैं। शुक्रवार 30 मार्च 2018 को फ़िलिस्तीनियों के ज़मीन दिवस के अवसर पर शुरू हुए ग्रेट रिटर्न मार्च के पहले ही दिन इस्राईली सेना के स्नाइपरों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे निहत्थे फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों को सीधे गोलियों से निशाना बनाया और 16 प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया। इसके अलावा, पहले दिन की समाप्ति तक 400 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।

14 मई 2018 को ज़ायोनी शासन की अवैध स्थापना की 70वीं बरसी पर केवल डेढ़ महीने में इस्राईली स्नाइपरों ने डेढ़ सौ से ज़्यादा प्रदर्शनकारियों को शहीद कर दिया था। एक साल बीत जान के बाद अब यह संख्या बढ़कर 275 से अधिक हो चुकी है और क़रीब 30 हज़ार प्रदर्शकारी घायल हो चुके हैं।

इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार कर और घायल करके इस्राईली फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारियों के साहस को कमज़ोर करना चाहते हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर अत्याचार और अन्याय का सामना कर रहे फ़िलिस्तीनियों ने इतनी क़ुर्बानियां देकर यह साबित कर दिया कि अपने मूल अधिकारों की प्राप्ति तक वे पीछे नहीं हटेंगे।

वापसी मार्च के जारी रहने पर फ़िलिस्तीनियों के आग्रह को विश्व की वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में भी देखा जा सकता है। हर देश और हर राष्ट्र को अपने अधिकारों की रक्षा के लिए ख़ुद ही कमर कसनी होगी और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता समाप्त करनी होगी।

फ़िलिस्तीनियों का यह शांतिपूर्ण आंदोलन भी इसी वास्तविकता को दर्शाता है। हालांकि इसमें एक अंतर यह है कि विश्व के अधिकांश देश अपनी रक्षा अपनी सैन्य शक्ति को मज़बूत बनाकर करते हैं, लेकिन फ़िलिस्तीनी अपने अधिकारों की रक्षा शांतिपूर्ण आंदोलन करके और बलिदान देकर कर रहे हैं।