ज़ायोनी शासन ने ग़ैर क़ानूनी निर्णय लेते हुए वर्ष 2003 में इस गेट को फ़िलिस्तीनी नमाज़ियों के लिए बंद कर दिया था।
फ़िलिस्तीनी लगातार इस गेट को खुलवाने की कोशिश कर रहे थे यहां तक कि आज 16 साल बाद ज़ायोनी शासन को मजबूर होकर बाबुर्रहमा गेट खोलना पड़ा।
फ़िलिस्तीनियों की धार्मिक संस्थाओं, संगठनों, वक्फ़ संस्था तथा सैकड़ों आम फ़िलिस्तीनियों ने मिलकर ज़ोरदार प्रदर्शन किए और ज़ायोनी शासन को यह दरवाज़ा खोलने पर मजबूर होना पड़ा।
एक सप्ताह से फ़िलिस्तीनियों ने इस गेट के बाहर अपना प्रदर्शन तेज़ कर दिया था। ज़ायोनियों ने प्रदर्शन कर रहे फ़िलिस्तीनियों को डराने धमकाने की कोशिश की, उन पर हमले किए और कई फ़िलिस्तीनियों को गिरफ़तार किया लेकिन फ़िलिस्तीनी प्रदर्शनकारी अपनी जगह पर डटे रहे यहां तक कि ज़ायोनी शासन ने इस गेट को खोला। इस अवसर पर प्रदर्शनकारियों में विशेष उत्साह देखा गया और उन्होंने गेट से भीतर जाकर मस्जिदुल अक़सा के प्रांगड़ में नमाज़ पढ़ी।
दूसरी ओर हमास और जेहादे इस्लामी सहित फ़िलिस्तीनी संगठनों ने एक बयान जारी करके पहले ही कह दिया था कि वह शुक्रवार को मस्जिदुल अक़्सा की ओर नाम से प्रदर्शन करेंगे।
बताया जाता है कि भारी दबाव के चलते ज़ायोनी शासन ने दरवाज़ा खोला है।