हालिया महीनों में ज़ायोनी सैनिकों और हमास के प्रतिरोधकर्ताओं के बीच भीषण झड़पें हुई हैं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प की कार्यवाहियों के बाद से ही इस्राईल और हमास के बीच झड़पें तेज़ हो गयीं। अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने दिसम्बर 2017 को आधारिक रूप से बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल की राजधानी स्वीकार करने की घोषणा की थी और मई 2018 को उसने तेल अवीव से अपना दूतावास बैतुल मुक़द्दस स्थानांतरित कर दिया।
अमरीकी सरकार डील आफ़ द सेन्चुरी नामक योजना को लागू करना चाहती है किन्तु यह योजना पूर्ण रूप से इस्राईल के हितों की सेवा कर रही है।
डील आफ़ सेंचुरी के बारे में अभी कोई औपचारिक घोषणा तो नहीं की गई है लेकिन इसके संबंध में जानकारियां लीक होकर आ रही हैं। इन जानकारियों से पता चलता है कि इस डील में मिस्र और जार्डन की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
बताया जाता है कि इस डील के तहत ग़ज़्ज़ा पट्टी के इलाक़े को पश्चिमी तट के इलाक़े से पूरी तरह अलग कर दिया जाएगा। ग़ज़्ज़ा वासियों के लिए पीने के पानी, बिजली, अन्य देशों की यात्रा की सुवधा, बंदरगाह और एयरपोर्ट का बंदोबस्त किया जाएगा।
वैसे डील आफ़ द सेंचुरी के बारे में यह बातें भी कही जाने लगी हैं कि इस योजना का फ़िलिस्तीन की ज़मीनी सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है। बहरहाल अमरीका ने फ़िलिस्तीन के हवाले से बहुत ख़तरनाक खेल शुरु किया है जिसका समय पर ही जवाब दिया जाना बहुत ज़रूरी है।
बहरहाल फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन ने समुद्र में मीज़ाइलों का परीक्षण करके यह सिद्ध कर दिया है कि वह ज़ायोनी शासन की हर हरकत का डटकर मुक़ाबला करेगा।