अली अकबर (अ.स.) इमाम हुसैन (अ.स.) के सबसे बड़े बेटे हैं और चूँकि वह इमाम अली बिन हुसैन ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) से बड़े हैं, इसलिए उन्हें अकबर कहा जाता है।
हज़रत अकबर (अ.स.) की वालिदा लैला बिन्ते अबी मर्रह बिन उरवा हैं। कई रिवायात के अनुसार, वह अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही सल्लम) के सबसे मुशाबेह थे और वह कर्बला में पहले हाशमी शहीद भी थे।
इतिहासकारों उनकी शहादत के समय उम्र को लेकर मतभेद है, इसलिए इतिहास में उनकी उम्र 18, 23 और 25 वर्ष दर्ज की गई है, लेकिन सबसे प्रसिद्ध रिवायत के अनुसार, उनका जन्म वर्ष 33 हिजरी में हुआ था और कहा जा सकता है कि शहादत के वक्त उनकी उम्र करीब 27 साल छह महीने थी।
कुछ रिवायात के अनुसार, हज़रत अली अकबर का जन्म उस्मान बिन अफ्फान की हत्या से दो साल पहले 11 शाबान, 33 हिजरी को मदीना में हुआ था। अतः आशूरा के दिन शहादत के समय आपकी उम्र लगभग 27 वर्ष और छह महीने थी।
उलमा ए नस्साब (वंशावली के विद्वानों) और इतिहासकारों के अनुसार जनाब अली अकबर (अ.स.) इमाम ज़ैनुल आबिदीन (अ.स.) से बड़े हैं क्योंकि इमाम सज्जाद (अ.स.) आशूरा के दिन 23 साल के थे। अधिकांश स्रोतों ने आपके जन्म के बारे में जानकारी नहीं दी है।
हज़रत अली अकबर (अ.स.) का मशहूर लक़ब "अकबर" है क्योंकि आप अपने भाई हज़रत इमाम ज़ैनुल-आबिदीन (अ.स.) से बड़े थे, जिसका प्रमाण इमाम ज़ैनुल-आबिदीन का इब्न ज़ियाद के साथ हुआ ऐतिहासिक संवाद है जिसमे इब्न ज़ियाद लईन ने कहा कि यह कौन है ?
इमाम ने कहा: मेरा नाम अली है।
इब्न ज़ियाद ने कहा: क्या अल्लाह ने कर्बला में अली बिन-हुसैन को नहीं मारा?
इमाम (अ.स.) ने तर्क और धैर्य के साथ कहा: मेरे एक बड़े भाई का नाम भी अली था जिसे तुम्हारे लोगों ने कर्बला में क़त्ल कर दिया।