AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
रविवार

15 जनवरी 2023

5:49:39 pm
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प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों के बीच गंभीर टकराव, ज़ायोनी शासन के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती

शनिवार को एक बार फिर तेल-अवीव में ज़ायोनी प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतनयाहू की नई सरकार के ख़िलाफ़ विशाल प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है।

एक अनुमान के मुताबिक़, शनिवार को होने वाले प्रदर्शन, नेतनयाहू की दक्षिपंथी सरकार के ख़िलाफ़ अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है। इस्राईल के प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों ने इस प्रदर्शन के समर्थन और उसके ख़िलाफ़ अपनी पूरी ताक़त झोंक दी है।

नेतनयाहू ने कट्टरपंथी और दक्षिणपंथी ज़ायोनी राजनीति दलों के साथ गठबंधन करके अपनी सरकार का गठन किया है। यह इस्राईल की अब तक की सबसे कट्टर दक्षिणपंथी सरकार है, जिसे लेकर ख़ुद ज़ायोनी राजनीतिक गलियारों में गहरी चिंता पाई जाती है।

इस्राईलियों का मानना है कि नेतनयाहू अपने ख़िलाफ़ लगे आरोपों से बचने के लिए और सत्ता के लालच में लोकतांत्रिक व्यव्सथा की बलि चढ़ा रहे हैं, क्योंकि जो गुट उनके साथ सत्ता में भागीदार हैं, वह न तो किसी तरह के मूल्यों को मानते हैं और न ही लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। इससे फ़िलिस्तीनियों के साथ ज़ायोनी शासन का टकराव बढ़ जाएगा और क्षेत्र इसकी भेंट चढ़ जाएगा।

नेतनयाहू के प्रतिद्वंद्वी पूर्व इस्राईली प्रधान मंत्री यायिर लेपिड इस दक्षिपंथी सरकार के विरोधियों का नेतृत्व कर रहे हैं। लेपिड ने ज़ायोनी पुलिस प्रमुख से विरोधी प्रदर्शनकारियों को सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग करते हुए कहा है कि मुझे उम्मीद है, आप पुलिस को प्रदर्शनकारियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार का आदेश देंगे, ताकि लोग अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपना विरोध जता सकें। यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि पुलिस निष्पक्ष रहे और सत्ता के दबाव में काम नहीं करे।

नेतनयाहू की कैबिनेट में शामिल कई मंत्रियों ने विरोधियों को गिरफ़्तार करने और उनके साथ सख़्ती बरतने की धमकी दी है। दक्षिणपंथी पार्टी महान यहूदी के प्रमुख इतमार बिन ग़फ़ीर ने लेपिड और गैंट्ज़ समेत विरोधी नेताओं को गिरफ़्तार करने की मांग की है, जो शनिवार के प्रदर्शनों के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

हालांकि इन धमकियों का प्रदर्शनकारियों पर कोई असर नहीं हुआ है और विपक्षी नेताओं ने लोगों से बढ़ चढ़कर इन प्रदर्शनों में भाग लेने की मांग की है।

इस्राईल के वर्तमान राजनीतिक वातावरण को देखते हुए यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है कि अगर प्रतिद्वंद्वी गुटों में टकराव इसी तरह से जारी रहा तो ज़ायोनी शासन को अभूतवूर्व आंतरिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है और यह ग़ैर-क़ानूनी शासन अंदर से ही बिखर सकता है।

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