इटली की राजधानी में बोलते हुए तुर्किए के विदेशमंत्री ने यह भी दावा किया कि इस्राईल के साथ तुर्किए के संबंधों के सामान्यीकरण को फ़िलिस्तीनी मुद्दे के साथ विश्वासघात या इस देश की जनता के लिए हानिकारक बताना ग़लत है।
तुर्की के इस सीनियर नेता ने नस्लभेदी इस्राईल के साथ संबंधों को फिर से बहाल करने के बारे में अंकारा अधिकारियों की हालिया कार्रवाइयों को सही ठहराने की कोशिश जारी रखी और तुर्किए और इस्राईल के बीच संबंधों के सामान्यीकरण को, दोनों पक्षों औरर पूरे क्षेत्र के हित में क़रार दिया।
अपने हालिया स्पष्टीकरणों के बावजूद, तुर्किए के सीनियर नेता ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ज़ायोनी शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के तुर्किए के इस क़दम से फ़िलिस्तीन की मज़लूम जनता को क्या लाभ होगा?
इसी मध्य दोनों पक्षों के बीच संबंधों को सामान्य करने का मुद्दा उठाने के बाद, ज़ायोनी शासन ने अर्दग़ान सरकार के लिए अपनी पहली शर्त का एलान करते हुए अंकारा से तुर्किए में स्थित सभी फ़िलिस्तीनी संगठनों की गतिविधियों को रोकने के लिए कहा। ज़ाहिर सी बात है अर्दोग़ान की सरकार ने भी इस मामले में तेजी से काम किया है।
इस बीच कुछ साक्ष्य इस बात की ओर इशारा करते हैं कि तुर्किए और नस्लभेदी ज़ायोनी शासन के बीच संबंधों में कभी भी वास्तविक तनाव नहीं रहा है। इस संबंध में विशेषज्ञ कहते हैं कि तुर्की के नेता ज़ायोनी शासन के साथ सांठगांठ करने की ट्रेन से कभी नहीं उतरे हैं और वे फिर से उस पर सवार होना चाहते हैं।
वैसे भी यह कहना चाहिए कि रजब तैयब अर्दोग़ान सरकार का इस्राईल के साथ संबंधों को फिर से शुरू करने का प्रयास, अंकारा अधिकारियों के एजेंडे में ऐसी स्थिति में शामिल हुआ है कि जब सत्तारूढ़ जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी के नेता तुर्किए के राष्ट्रीय हितों के विपरीत हाल ही में सीरिया के साथ मतभेदों को समाप्त करने के लिए हिचकिचाहट के साथ कदम उठा रहे हैं। (AK)
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