AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
रविवार

4 दिसंबर 2022

8:19:46 pm
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इस्राईल के चारों तरफ़ कैसा जाल बुना जा रहा है, क्यों हालात का रुख़ बदलने में नाकाम है जाली शासन

इस्राईल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ के एक बयान से पूरे इस्राई में हड़कंप मच गया है।

इस्राईल के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ एवीव कोख़ाफ़ी ने कहा कि इस्राईल अपनी पूरी ताक़त लगाए हुए है कि कहीं सीरिया और इराक़ में भी लेबनान के हिज़्बुल्लाह की तरह मज़बूत संगठन न तैयार हो जाएं। इस्राईल ने इसके लिए एक आप्रेशन शुरू किया है जिसका नाम रखा गया है दो युद्धों के बीच युद्ध।

इस्राईल का यह कहना है कि सीरिया और इराक़ में हालिया वर्षों में ईरान की सैनिक ताक़त बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और इसी के नतीजे में दोनों देशों में स्थानीय संगठन बिल्कुल हिज़्बुल्लाह के अंदाज़ में अपने आप को ढाल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि इस्राईल को एक साथ कई मोर्चों पर लड़ना पड़ेगा। इतना ही नहीं इन संगठनों के बहुत अच्छा संबंध हमास और जेहादे इस्लामी जैसे फ़िलिस्तीनी संगठनों से हैं। इससे अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं कि इस्राईल के चारों तरफ़ इन संगठनों का जाल तैयार होता जा रहा है।

इस्राईली मीडिया में यह रिपोर्ट छी छपी है कि हिज़्बुल्लाह की ताक़त 1999 और 2005 के बीच जिस सतह की थी अब उससे कई गुना बढ़ चुकी है। अगर लेबनान का जायज़ा लिया जाए तो हिज़्बुल्लाह वहां राजनैतिक और आर्थिक तौर पर बहुत मज़बूत ताक़त बन बन गया है।

कोख़ाफ़ी ने यह दावा किया है कि हिज़्बुल्लह ने सीरिया और इराक़ ही नहीं यमन में भी हथियारों को विकसित करने की प्रक्रिया कामयाबी के साथ आगे बढ़ाई है।

जेरुज़लम पोस्ट ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि बार बार ख़बरों में आता है कि इस्राईल ने सीरिया के भीतर हमला कर दिया या इराक़ को निशाना बनाया तो इसका कारण यह है कि इस्राईली एजेंसियों को साफ़ साफ़ नज़र आ रहा है कि उसके चारों तक बड़ मज़बूत जाल बुना जा रहा है।

इराक़ और सीरिया दोनों देशों में एसे संगठन मौजूद हैं जो इस्राईल से गहरी दुश्मनी रखते हैं और ईरान के बेहद क़रीबी घटक समझे जाते हैं। इस्राईल एड़ी चोटी का ज़ोर लगाकार यह कोशिश कर रहा है कि समीकरणों में कुछ बदलाव आ जाए मगर अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस्राईल के आप्रेशन का ज़मीनी स्थिति पर क्या असर पड़ा है।

हाल ही में क़तर में हो रहे फ़ुटबाल वर्ल्ड कप के मैचों के दौरान यह तथ्य भी सामने आ गया कि अरबों और मुस्लिमों में इस्राईल को लेकर बड़ी नफ़रत पायी जाती है। विश्व कप मैच देखने पहुंचे अरब व इस्लामी देशों के तमाशबीनों ने इस्राईली मीडिया और इस्राईली दर्शकों से इतनी बेरुख़ी बरती कि इस्राईल ने बाक़ायदा क़तर के विदेश मंत्रालय से इसकी शिकायत की।

इन हालात को देखते हुए इस्राईल क भीतर एक बड़ा तबक़ा यह मानता है कि नेतनयाहू ने बड़ी मेहनत करके और ट्रम्प को फुसलाकर अरब देशों से अब्राहम समझौते किए लेकिन आज हालत यह है कि समझौता केवल सरकारों तक सीमित है। इन देशों की भी जनता इस्राईल को बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है।

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