AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
सोमवार

28 नवंबर 2022

6:31:59 pm
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ईरान, रूस और भारत ने मिलकर बनाई बड़ी योजना, अमेरिका और पश्चिमी देशों में मचा हडकंप

भारत और रूस की दोस्‍ती को और मज़बूत करने में ईरान बड़ी भूमिका निभाने जा रहा है। ईरान और रूस के बीच 12 मिलियन टन रूसी सामान के ट्रांज़िट के लिए सहमति बन गई है। यह रूसी सामान ईरान के इंटनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के रास्‍ते भारत जाएगा।

यूक्रेन युद्ध के बीच भारत और रूस दोनों ही व्‍यापार को बढ़ाना चाहते थे और इसमें ईरान का इंटरनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर गेम चेंजर साबित हो रहा है। ईरानी रेलवे के प्रमुख मियाद सालेही की मास्‍को यात्रा के दौरान रूसी रेलवे के प्रमुख से मुलाकात में ट्रेड को बढ़ाने पर सहमति बनी। इससे पहले दोनों देशों के बीच 10 मिलियन टन सामान का समझौता हुआ था। ईरान भारत के लिए रूसी सामानों का प्रवेश द्वार बनकर उभर रहा है। मास्‍को से मुंबई के बीच कॉरिडोर में ईरान बड़ी भूमिका निभा रहा है। यह इंटनैशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर अभी भी विकसित हो रहा है। रूसी अधिकारियों का अनुमान है कि इस कॉर‍िडोर की कुल क्षमता 15.4 मिलियन टन तक पहुंच सकती है। यही नहीं वे इसे डबल करके सालाना 35 मिल‍ियन टन तक पहुंचाने का इरादा रखते हैं।

यह डबल करने का काम नए रास्‍तों को शुरू करने और पूरब से पश्चिम में पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों को भी शामिल किया जा सकता है। रूसी अधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया है कि अगर ईरान के बंदर अब्‍बास के रास्‍ते रूस के सेंटपीटर्सबर्ग को चीन से जोड़ दिया जाए तो व्‍लादिवोस्‍तोक-येकतेरिनबर्ग-मास्‍को के बीच रेल मार्ग पर दबाव कम हो सकता है। रूसी अधिकारियों ने कहा कि रेलमार्ग से चीन और रूस के बीच सबसे ज़्यादा सामान आता जाता है। इस रास्‍ते से चीन को सामान भेजने में बहुत ज़्यादा समय भी नहीं लगेगा। रेलमार्ग से जहां 40 से 45 दिन लगता है वहीं बंदरअब्‍बास के रास्‍ते इसमें 49 से 59 दिनों का समय लगेगा। हालांकि फ़ायदा इससे यह होगा कि रेलमार्ग में आने वाली कठिनाईयां कम हो जाएंगी। विश्‍लेषकों का कहना है कि इस ट्रांज़िट मार्ग से मास्‍को-मुंबई कॉरिडोर स्‍पष्‍ट हो गया है। बड़ी संख्‍या में कंपनियां इस कॉरिडोर की संभावना को तलाश करने के लिए प्रयास कर रही हैं। उन्‍होंने कहा कि अगर आधा प्‍लान भी लागू हो जाता है तो भी यह बहुत बड़ी सफलता होगी। वहीं ईरान, रूस और भारत की बढ़ती नज़दीकियों और मज़बूत होते व्यापारिक संबंधों से पहले से ही चिंतित अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए इस नई योजना ने इन देशों की सरकारों की चिंताएं बढ़ा दी है। इस बीच रूस और ईरान लगातार यह भी प्रयास कर रहे हैं कि भारत और चीन के बीच मौजूद मतभेदों को वार्ता के ज़रिए हल कराया जा सके और दोनों पड़ोसी देशों में संबंध सामान्य हो जाएं। अगर ऐसा होता है तो दुनिया पर एकपक्षीय तरीक़े से अपनी मनमानी नीतियों को थोपने की कोशिश करने वाले अमेरिका और यूरोपीय देशों की दादागिरी समाप्त हो जाएगी। (RZ)  

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