AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
शनिवार

19 नवंबर 2022

4:26:18 pm
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ग्रेटर इस्राईल की स्थापना का ख़्वाब रेत की दीवार की तरह बिखर गया, बड़े लक्ष्य छोड़कर अब छोटे उद्देश्यों की बात करने लगे हैं इस्राईली

फ़िलिस्तीन की धरती पर ग़ैर क़ानूनी जाली शासन इस्राईल की स्थापना को 74 साल का समय बीत चुका है मगर आज भी ज़ायोनी शासन बड़े गंभीर संकटों से जूझ रहा है जिसकी वजह से इस्राईल अमरीका सहित अनेक देशों का भरपूर समर्थन हासिल होने के बावजूद अपने रणनैतिक लक्ष्य हासिल नहीं कर पा रहा है।

इलाक़े में इस्राईल की सामरिक बढ़त इस समय पूरी तरह ख़त्म हो चुकी है। इस समय तक ख़ुद इस्राईली क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में हालात इतने बेक़ाबू हो चुके हैं कि ज़ायोनी अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं जबकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उन्हें अपने अस्तित्व को मान्यता दिलवाने के लिए लड़ना पड़ रहा है।

इस पूरी मुद्दत में फ़िलिस्तीनियों ने अपनी मांग छोड़ी नहीं है बल्कि उनका प्रतिरोध लगातार ज़्यादा तेज़ होता जा रहा है।

अगर इस्राईल की स्थापना के लक्ष्यों पर नज़र डाली जाए और उसकी आज की हालत का जायज़ा लिया जाए तो साफ़ हो जाएगा कि राजनैतिक, सामाजिक आयामों और जनसंख्या के स्तर पर उसके सामने गंभीर संकट हैं और इसका अस्तित्व पूरी तरह ख़तरे में है।

इस्राईल की स्थापना का पहला लक्ष्य यह था कि यहूदियों का एक बड़ा देश स्थापित हो जो मध्यपूर्व के इलाक़े की सुपर पावर हो। मगर आज ग़ौर कीजिए तो अंदाज़ा हो जाएगा कि इनमें से अधिकतर लक्ष्य अधूरे रह गए हैं। इस्राईली अपनी मर्ज़ी की सीमाओं का निर्धारण नहीं का पा रहा है जबकि इस बीच उसके सामने जनसंख्या का बड़ा संकट है।

इस समय इस्राईल भौगोलिक रूप से घिर गया है जिसके नतीजे में वह विस्तारवाद की रणनीति किनारे रख देने पर मजबूर है। चालीस लाख फ़िलिस्तीनियों की आबादी अब भी फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में बसती है। इस्राईल उनसे निजात पाने के लिए बहुत हाथ पांव मार रहा था मगर नाकाम रहा। इन फ़िलिस्तीनियों का प्रतिरोध लगातार बढ़ रहा है। अमरीका की देखरेख में कुछ अरब सरकारों के साथ इस्राईल के शांति समझौते भी हो गए हैं मगर इलाक़े पर वर्चस्त क़ायम करने का उसका सपना आज भी अधूरा है।

इलाक़े में सामरिक वर्चस्व और बढ़ात बनाए रखना इस्राईल का बड़ा अहम लक्ष्य था वह अपने विरोधियों की सीमाओं के भीतर जंगों को ले जाना चाहता था मगर आप अपने क़ब्ज़े वाले इलाक़ों में जंग लड़ने पर मजबूर है।

इस्राईल की यह कोशिश थी कि दुनिया भर से यहूदी पलायन करके फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में आ जाएं मगर सब कुछ उलटा हो गया अब तो फ़िलिस्तीनी इलाक़ों में आकर बसे इस्राईली वहां से वापस जाने लगे हैं।

इस्राईली समाज में विभाजन बहुत गहरा हो गया है और पूरी कम्युनिटी बुरी तरह बंट गई है। इस्राईल की होमलैंड सेक्युरिटी संस्था शाबाक के प्रमुख रोनीन बार ने कहा कि इस्राईल के अस्तित्व के लिए ख़तरे की घंटी बजने लगी है। इस्राईली समाज में बहुत बुरी तरह विभाजन पैदा हो गया है।

इन हालात की वजह से इस्राईली नेताओं ने अब रणनैतिक लक्ष्यों के बारे में बात करना बंद कर दिया है। अब उनकी नज़र आंशिक और छोटे लक्ष्यों पर टिकी हुई है। इससे पता चलता है कि इस्राईल और इस्राईलियों पर निराशा छायी हुई है।


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