बुधवार को यह लॉन्च तीसरी बार की कोशिश में सफल हो पाया है। इससे पहले इसकी दो लॉन्चिंग नाकाम हो चुकी हैं। तकनीकी दिक़्क़तों की वजह से अगस्त और सितंबर की लॉन्चिंग काउंट डाउन के दौरान नाकाम रही थी।
यह नासा के आर्टेमिस मिशन का हिस्सा है, जिसके तहत 50 साल बाद एक बार फिर इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी हो रही है।
यह इस रॉकेट का पहला मिशन है, जिसमें कोई अंतरिक्ष यात्री सवार नहीं होगा। लेकिन अगर यह मिशन कामयाब रहता है, तो भविष्य में इस रॉकेट से अंतरिक्ष यात्री मिशन पर जा सकेंगे।
इस अभियान के तहत चांद की दिशा में एक एस्ट्रोनॉट कैप्सूल भेजा जाना है, यानी एक ऐसा अंतरिक्ष यान जिसमें इंसान को भेजा जा सके।
ओरियन नाम के इस अंतरिक्ष यान में कोई इंसान नहीं था। लेकिन अगर यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले मिशनों में चांद की सतह पर जाने वाले इस तरह के यान में इंसान को भी भेजा जा सकेगा।
वैज्ञानिकों का दावा है कि सबकुछ ठीक रहा तो इंसान 2024 से एक बार फिर चांद पर क़दम रख सकेगा।
लॉन्च होते ही आर्टेमिस नाम का यह 100 मीटर लंबा रॉकेट भारी आवाज़ और तेज़ रोशनी के साथ आसमान की ओर उड़ गया। msm
342/