AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
बुधवार

9 नवंबर 2022

8:06:53 pm
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क्या अमरीका अब ज़ेलेन्स्की को मजधार में ढकेल कर भागना चाहता है? अमरीका ने क्यों कहा कि पुतीन के साथ बातचीत के ख़ुफ़िया चैनल खुल गए हैं?

अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन अपनी लोकप्रियता का ग्राफ़ बुरी तरह नीचे आ जाने की वजह से बौखलाए हुए हैं। जबकि दूसरी तरफ़ युक्रेन की जंग में भी उनकी सरकार नाकाम ही रही। जंग को नवां महीना शुरू होने वाला है और अब तक जो नज़र आ रहा है वह रूस की सैनिक और राजनैतिक कामयाबियां ही हैं।

अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सोलिवान ने इक़रार किया है कि उन्होंने अपने रूसी समकक्ष निकोलाय पैट्रोशेफ़ से बात की ताकि यूक्रेन जंग का दायरा न बढ़े और परमाणु युद्ध का ख़तरा क़रीब न आए। उनके बयान से लगता है कि अमरीका ने धीरे धीरे युक्रेन जंग में अपनी कमज़ोरी स्वीकार करना शुरू कर दिया है और अब शांतिपूर्ण समाधान की तरफ़ बढ़ना चाहता है। इस प्वाइंट पर समाधान का मतलब यह है कि रूस ने जिन भागों का विलय किया है उसे रूस के भाग के तौर पर मान्यता देनी होगी।

राष्ट्रपति पुतीन की परमाणु हमले की धमकी और सारे हथियारों के साथ किए गए रूसी सेना के अभ्यास में उनकी शिरकत साथ ही रूस की तरफ़ से यह बयान कि यूक्रेन डर्टी बम से हमला करने की कोशिश कर रहा है इन सारी चीज़ों ने मिलकर अमरीकी नेतृत्व के रोंगटे खड़े कर दिए।

मास्को के साथ वार्ता का चैनल खोलने पर अमरीका को मजबूर करने वाली एक बड़ी चीज़ जंग के मैदानों में रूस का पलड़ा भारी हो जाना था। हालिया हफ़्तों में रूस ने मिसाइलों और ड्रोन विमानों से हमले करके समीकरणों को बिल्कुल बदल दिया। बहुत सारे लोगों की पानी की सप्लाई कट गई, बिजली की सप्लाई कट गई, इंफ़्रास्ट्रक्चर ध्वस्त होकर रह गया। सर्दी का मौसम भी आ पहुंचा है और लाखों यूक्रेनी नागरिकों को शिविरों में शरण लेनी पड़ी है।

अमरीका में होने वाले चुनावों के नतीजे युक्रेन और वहां के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की के हित में नहीं हैं क्योंकि मज़बूत स्थिति हासिल करने वाली रिपब्लिकन पार्टी को इस बात पर एतेराज़ है कि अमरीका का बड़ा बजट युक्रेन जंग में स्वाहा होता जा रहा है। अब तक चालीस अरब डालर से ज़्यादा रक़्म ख़र्च हो चुकी है।

वाशिंग्टन पोस्ट ने एक रिपोर्ट में लिखा कि बाइडन प्रशासन ने यूक्रेन के नेतृत्व पर भारी दबाव डाला है कि जंग रुकवाने के लिए रूस के साथ बातचीत का रास्ता खोलें। मगर ज़ेलेंन्स्की ने यह दबाव स्वीकार नहीं किया है और वे जंग से पीछे हटना नहीं चाहते।

ज़ेलेन्स्की को अच्छी तरह पता है कि वे अमरीकी सपोर्ट से ही सत्ता में बने हुए हैं इसलिए आख़िरकार उन्हें अमरीकी दबाव के सामने झुकना पड़ेगा और रूस की शर्तों पर युद्धविराम करना होगा।

जैसे ही सर्दी का मौसम शुरु हुआ है अमरीका और यूरोपीय देश एक एक करे इस जंग से पीछे हटने लगे हैं। अब अगर ज़ेलेन्स्की को यह उम्मीद है कि रूस के भीतर पुतीन के ख़िलाफ़ बग़ावत हो जाएगी या कैंसर की बीमारी में ग्रस्त होकर पुतीन की मौत हो जाएगी तो यह सब उनका भ्रम है। उन्हें भी सबक़ लेना चाहिए कि अमरीका ने क्यों रूस के साथ बातचीत के चैनल खोल लिए हैं।

हम तो लगता है कि जो बाइडन इंडोनेशिया में होने वाली जी 20 की बैठक में पुतीन से मुलाक़ात न करने के अपने एलान से भी पीछे हट सकते हैं। जैसे वे सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान से मुलाक़ात न करने अपने एलान से पीछे हटे थे और रियाज़ की यात्रा पर जाकर बहुत अपमानित होने के बाद वहां से लौटे थे। यह बात हम इस संभावना की बुनियाद पर कह रहे हैं कि हो सकता है कि पुतीन जी 20 की बैठक में हिस्सा लें वरना अभी यह स्पष्ट नहीं है कि पुतीन इसमें भाग लेंगे या नहीं।

आख़िर में बस यह कहना है कि पुतीन और रूस को झुकाने का पश्चिम का एजेंडा बुरी तरह धराशायी हो चुका है।

अब्दुल बारी अतवान

लेखक अरब जगत के जाने माने लेखक और पत्रकार हैं