AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
सोमवार

12 जुलाई 2021

5:57:43 pm
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ओमान के सुलतान की रियाज़ यात्रा, क्या संकटों के भंवर में फंस चुके सऊदी अरब के बचने का कोई चांस है? बिन सलमान को सऊदी अरब की राजगद्दी कैसे मिलेगी?

ओमान के सुलतान हैसम बिन तारिक, सऊदी अरब के शासक सलमा बिन अब्दुल अज़ीज़ के औपचारिक निमंत्रण पर रविवार को दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब पहुंचे। सऊदी युवराज मुहम्मद बिन सलमान ने इस देश के पश्चिमोत्तरी शहर निओम के हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया।

ओमान के सुलतान ने जनवरी 2020 में देश के शासक बनने के बाद पहली बार विदेश यात्रा की है और इसी लिए सऊदी मीडिया इसे बहुत ज़्यादा कवरेज दे रहा है और अहम बता रहा है लेकिन सऊदी अधिकारियों की तरफ़ से ओमान के सुलतान के विशेष स्वागत की अस्ल वजह यह नहीं है कि उन्होंने अपने पहले विदेशी गंतव्य के रूप में सऊदी अरब का चयन किया है बल्कि उनका मानना है कि यह दौरा, विभिन्न संकटों से सऊदी अरब के बाहर निकलने की राह में एक अहम मोड़ है। सऊदी अधिकारियों ने ओमान नरेश की मध्यस्थता और उनकी कोशिशों से बड़ी आस लगा रखी है।

इसके अलावा ऐसा लगता है कि अरब देश, विशेष कर फ़ार्स की खाड़ी के तटवर्ती अरब देश, अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार की नीतियों से अधिक से अधिक समन्वय के लिए अपनी क्षेत्रीय नीतियों पर पुनर्विचार कर रहे हैं। दूसरी तरफ़ सऊदी अरब इस समय अपने पड़ोसी और घटक यानी यूएई से यमन के मामले में भिड़ा हुआ है और तेल के निर्यात में भी दोनों के बीच ठनी हुई है। यही वजह है कि सऊदी अरब ओमान की मदद से, जो क्षेत्र में मध्यस्थता करने के लिए प्रख्यात है, अपने संकटों को ख़त्म करना चाहता है, ख़ास कर वह यमन के दलदल से निकलने के लिए बहुत छटपटा रहा है। सऊदी अरब की यह आशा इस लिए भी तर्कसंगत लगती है कि ओमान ने क़तर के साथ उसके व तीन अन्य अरब देशों के विवाद में बड़ी प्रभावी भूमिका निभाई थी। बिन सलमान इस बात को समझते हुए, कुछ अन्य संकटों के बारे में भी ओमान से उम्मीद लगाए हुए हैं।

इस संबंध में यमन के सात साल से जारी युद्ध को विशेष महत्व हासिल है जो सऊदी अरब के लिए बड़ा जटिल संकट बन चुका है और वह इस संकट से इज़्ज़त के साथ बाहर निकल जाना चाहता है। ओमान ने इस बारे में अंसारुल्लाह समेत यमन के अनेक गुटों और राष्ट्रीय मुक्ति सरकार से कई बात भी की है। अब भी वह इस बारे में कोशिश करने के लिए तैयार है ताकि सऊदी अरब इस थका देने वाली जंग के दलदल से निकल आए। हालांकि सऊदी अरब ने इस युद्ध में यमन के निहत्थे व निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ अनेक अमानवीय अपराध किए हैं और उसका दामन इतनी जल्दी साफ़ होने वाला नहीं है।

इसके अलावा इस्राईल से संबंध स्थापित करने का मामला भी ओमान व सऊदी अरब के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाक़ात में बातचीत का एक अहम मुद्द हो सकता है। सऊदी अरब, फ़ार्स की खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य देशों के बीच जिन विषयों को लेकर अधिक समरसता पैदा करना चाहता है, उनमें से एक, इस्राईल के साथ संबंधों की स्थापना का मार्ग समतल करना है, यह चीज़, कुछ पश्चिमी संचार माध्यमों के मुताबिक़, ज़ायोनी शासन के लिए जैकपाॅट है और मुहम्मद बिन सलमान, सऊदी अरब के सिंहासन पर विराजमान होने के लिए यह काम अंजाम देना चाहते हैं।