AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : parstoday
शनिवार

22 मई 2021

6:03:03 pm
1143305

इस्राईल जब एक मोर्चे से नहीं भिड़ सका तो अगर सब टूट पड़े तो क्या हाल होगा उसका???

लेबनान के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव ने फ़िलिस्तीनी गुटों के साथ युद्ध में इस्राईल की खुली पराजय की ओर संकेत करते हुए कहा कि जब इस्राईल एक मोर्चे का कुछ बिगाड़ न सका तो वह प्रतिरोध के पूरे मोर्चे से कैसे भिड़ सकता है।

शैख़ नईम क़ासिम ने नूर रेडियो से बात करते हुए फ़िलिस्तीनी गुटों की क्षमताओं और इस्राईल के मुक़ाबले में फ़िलिस्तीनी गुटों की विजय पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 की स्वतंत्रता, इस्राईली दुश्मन के साथ युद्ध में एक नया रणनैतिक मोड़ था क्योंकि यह क़दम नये चरण की भूमि प्रशस्त कर सकता है। उनका कहना था कि यहां पर सैयद हसन नसरुल्लाह की वह बात सही साबित हो गयी कि इस्राईल, मकड़ी के जाले से भी कमज़ोर है और इस वाक्य का ज़मीनों की आज़ादी से सीधा संबंध था और बहुत ही महत्वपूर्ण और अहम मोड़ साबित हुआ।

शैख़ नईम क़ासिम ने कहा कि हालिया युद्ध में जीत का सेहरा, फ़िलिस्तीनी जनता के प्रतिरोध के संकल्प और उसके मज़बूत इरादों को जाता है और क्षेत्र के हालात यही बता रहे हैं कि बैतुल मुक़द्दस की स्वतंत्रता निकट है।

हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव का कहना था कि लेबनान का पतन नहीं हुआ और सीरिया भी नहीं बिखरा और दाइश द्वारा अमरीका के ग़ैर प्राकृतिक समर्थन के बावजूद इराक़ भी विभाजित नहीं हुआ, यमन भी अजीबो ग़रीब ढंग से अपने पैरों पर खड़ा है लेकिन फ़िलिस्तीन ने चार जंगों का अनुभव किया और चारों में उसने जीत दर्ज की और अंतिम जंग भी फ़िलिस्तीन के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गयी।

उनका कहना था कि दुश्मन अब लेबनान के विरुद्ध जंग का मोर्चा नहीं खोलेगा क्योंकि उसे पता है कि पराजय ही उसे मिलेगी क्योंकि प्रतिरोध जीतने की ताक़त रखता है और यही वजह से फ़िलिस्तीन या लेबनान के विरुद्ध हर प्रकार के युद्ध को टालने की कोशिश की गयी।

हिज़्बुल्लाह के उप महासचिव ने कहा कि हम इस्राईल के हर संभावित हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने को तैयार हें और हम हमेशा पूरी तैयारी में रहते हैं। उनका कहना था कि हमारे पास ख़फ़िया जानकारी है जिससे पता चलता है कि इस्राईल ने हालिया युद्धाभ्यास, लेबनान पर हमले के लिए नहीं किया था।

उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह, प्रतिरोधकर्ता गुटों और संघर्षकर्ताओं से रोज़ संपर्क में है, यहां तक कि फ़िलिस्तीन में होने वाली जंग के दौरान भी। उनका कहना था कि यह चर्चा हो रही है कि दक्षिणी लेबनान से किस ने राकेट फ़ायर किए, या फ़ायर करना सही था या नहीं, हम इस बहस में पड़ना नहीं चाहते।

शैख़ नईम क़ासिम का कहना था कि इस्राईली शासन चिंतित था और वह मीज़ाइलों के हमलों, उनकी आवाज़ और गिरने तथा सायरन की आवाज़ों से बुरी तरह भयभीत था और हमने इसको एक नुक़सान के तौर पर देखा, बिना बलिदान के प्रतिरोध को कोई कामयाबी नहीं मिल सकती और अगर हम फ़िलिस्तीन में बलिदानों को देखें तो हमारी समझ में आएगा कि यह एतिहासिक और रणनैतिक जीत थी।

उनका कहना था कि प्रतिरोध के मोर्चे में कभी कभी शीया और सुन्नी का मुद्दा नहीं रहा, निकट भविष्य में हमास भी सीरिया लौटेगा और इस बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण कोशिशें की गयी हैं, फ़िलिस्तीन की जंग कहती है कि हम हमास और सीरिया के बीच संबंधों की बहाली के साक्षी हैं।