बयान में कहा गया है कि औपचारिक व कूटनयिक संबंधों की स्थापना के लिए इमारात और ज़ायोनी शासन के बीच होने वाले इस शर्मनाक समझौते ने पूरी दुनिया के मुसलमानों को आहत किया है और दुनिया भर के स्वतंत्र लोगों के मन में संयुक्त अरब इमारात का नाम संयुक्त इब्री इमारात में बदल दिया है। बयान में कहा गया है कि इस्लामी जगत के कुछ शासकों के निरंतर विश्वासघात, शर्मनाक समझौते और अमरीकी, इस्राईली व अरबी षड्यंत्र यद्यपि इस्लाम, प्रतिष्ठा और मानवता के शरीर पर वार हैं लेकिन फ़िलिस्तीन व बैतुल मुक़द्दस की रक्षा इस्लामी जगत का एक संयुक्त लक्ष्य है और इस प्रकार की निंदनीय हरकतों से इस्लामी जगत के संकल्प में कण बराबर भी परिवर्तन नहीं आएगा।
ईरान के सुन्नी धर्मगुरुओं ने अपने संदेश में आशा जताई है कि इस्लामी जगत फ़िलिस्तीन व फ़िलिस्तीनी जनता के अधिकारों के समर्थन में उठ खड़ा होगा और एक ठोस रणनीति अपना कर इस बात की अनुमति नहीं देगा कि कुछ रुढ़िवादी सरकारों की ग़द्दारी, 80 साल के दौरान ईश्वर की राह में जेहाद करने वाले शहीदों के ख़ून को बर्बाद कर दे।