ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने दुनिया के सबसे पुराने क़ुरआन का पता लगाया है।
पवित्र क़ुरआन की यह प्रति बर्मिंघम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में रखी हुयी थी और लगभग 100 साल तक किसी को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी यहां तक कि डॉक्ट्रेट करने वाले एक छात्र ने पवित्र क़ुरआने मजीद के पृष्ठों के बारे में शोध करने का फ़ैसला किया और फिर इस बात का पता लगाने के लिए कि यह क़ुरआन कितना पुराना है इसे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी भेजा ताकि रेडियो कार्बन टेस्ट के ज़रिए इसका पता चल सके।
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पवित्र क़ुरआन की हाथ से लिखी सबसे पुरानी प्रति है। पवित्र क़ुरआन के कुछ अध्यायों पर आधारित यह प्रति लगभग 1400 साल पुरानी है। रेडियो कार्बन टेस्ट के अनुसार, जिस चमड़े पर पवित्र क़ुरआन की आयतें लिखी हैं उससे लगता है इसे 568 से 645 ईसवी के बीच लिखा गया है और यह पैग़म्बरे इस्लाम की पैग़म्बरी के काल के क़रीब का वक़्त है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जिस व्यक्ति ने पवित्र क़ुरआन की इस प्रति को लिखा है वह संभवतः पैग़म्बरे इस्लाम के ज़िन्दगी में जीवित था। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में ईसाई और इस्लाम धर्म के विषय के प्रोफ़ेसर डेविड टॉमस के हवाले से ब्रितानी मीडिया में आया है, “जिस व्यक्ति ने इसे लिखा है उसे पैग़म्बरे इस्लाम भली भांति जानते रहे होंगे। उसने संभवतः उन्हें देखा होगा। उसने हो सकता है उन्हें उपदेश देते सुना हो। हो सकता है वह उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानता हो।”
बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने दुनिया के सबसे पुराने क़ुरआन का पता लगाया
जुलाई 22, 2015 - 9:18 pm- News Code : 701881
- Source : एरिब.आई आर
ब्रिटेन की बर्मिंघम यूनिवर्सिटी ने दुनिया के सबसे पुराने क़ुरआन का पता लगाया है।
