हक़ (सत्य) चाहे कम ही क्यूं न हो बातिल (असत्य) को पराजित कर देता है जिस तरह लकड़ी
अबनाः قَليلُ الْحَقِّ يَدْفَعُ كَثيرَ الباطِلِ كَما اَنَّ الْقَليلَ مِنَ النّارِ يُحْرِقُ كَثيرَ الْحَطَبِ؛
अमीरूल मोमेनीन हज़रत अली अ. फ़रमाते हैंः हक़ (सत्य) चाहे कम ही क्यूं न हो बातिल (असत्य) को पराजित कर देता है जिस तरह लकड़ी चाहे जितनी भी ज़्यादा ही क्यूं न हो थोड़ी सी आग उसे जला देती है।