मां-बाप के साथ नेकी करना वाजिब है चाहे वह मुश्रिक ही क्यूं न हो और उनकी इताअत हर हाल में ................
وَبِرُّالْوَالِدَیْنِ وَاجِبٌ وَاِنْ کَانا مُشْرِکَیْنِ وَلاطَاعَةَ لھُمَّا فِیْ مَعْصِیةِ الخالِق
मां-बाप के साथ नेकी करना वाजिब है चाहे वह मुश्रिक ही क्यूं न हो और उनकी इताअत हर हाल में वाजिब है मगर यह कि अल्लाह की मासियत (गुनाह) होने का अंदेशा हो।