शहीद अबू मेहदी अल-मोहन्दिस की बेटी मनार जमाल आले इब्राहीम ने कहा है कि, अगर ईरान और हिज़्बुल्लाह का समर्थन न होता तो इराक़ की धरती का इतनी जल्दी आज़ाद होना संभव नहीं था।
मनार जमाल आले इब्राहीम ने शनिवार को अलमयादीन टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि, इराक़ की आज़ादी के लिए हश्दुश्शाबी का गठन एक निर्णायक फ़ैसला था। उन्होंने कहा कि, अगर ईरान का समर्थन और शहीद जनरल क़ासिम सुलैमानी द्वारा किया गया प्रयास न होता तो हश्दुश्शाबी का कभी भी गठन नहीं हो पाता। इराक़ी स्वयंसेवी बल हश्दुश्शाबी के पूर्व उप प्रमुख की बेटी ने अपने पिता और शहीद क़ासिम सुलैमानी की पहली बर्सी के मौक़े पर कहा कि, इराक़ में स्थित अमेरिकी दूतावास इस हत्या के योजनाकारों का अड्डा और षड्यंत्रों का केंद्र है। उन्होंने कहा कि, मेरे पिता हमेशा शहीद क़ासिम सुलैमानी को लेकर चिंतित रहते थे और अपनी ज़िम्मेदारी समझते थे कि हमेशा उनके साथ रहें।

अबू मेहदी अल-मोहन्दिस की बेटी ने बताया कि अमेरिका लगातार यह दबाव बनाता रहा है कि उनके पिता इराक़ी संसद में न जा सकें और न ही इराक़ की राजनीति में उनका हस्तक्षेप रहे। उन्होंने कहा कि अमेरिका मेरे पिता को अपने हितों के लिए ख़तरा समझता था और यही वजह थी कि उसने मेरे पिता का नाम आतंकवादियों की सूची में डाल दिया था। शहीद अबू मेहदी अल-मोहन्दिस की बेटी ने कहा कि अमेरिका की नीतियां पश्चिमी एशिया के राष्ट्रों के ख़िलाफ़ है। उन्होंने शहीद क़ासिम सुलैमानी, अपने पिता और उनके साथियों की अमेरिकी राष्ट्रपति के आदेश पर की गई हत्या की ओर इशारा करते हुए कहा कि, इस हत्या से अमेरिका को ऐसी क्षति पहुंची है कि जो बाइडेन के आने के बाद भी कुछ नहीं बदलेगा।

उल्लेखनीय है कि, आईआरजीसी के कुद्स ब्रिगेड के कमांडर जनरल क़ासिम सुलैमानी और इराकी स्वंय सेवी बल के उप कमांडर, अबू मेहदी अल-मोहन्दिस तथा उनके 8 साथी एक साल पहले 3 जनवरी 2019 को इराक़ के बगदाद हवाई अड्डे के निकट अमरीका के आतंकवादी सैनिकों के ड्रोन हमले में शहीद हो गये थे।