शहरी इलाक़ों में घनी आबादी, स्वास्थ्य के जर्जर बुनियादी ढांचे और आबादी की दृष्टि से दुनिया के पांचवे सबसे बड़े देश पाकिस्तान ने कोरोना वायरस महामारी पर कैसे क़ाबू पाया, यह विशेषज्ञों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी एक बड़ा सवाल है।
जबकि कोरोनो वायरस महामारी की शुरूआत में ऐसा माना जा रहा था कि पाकिस्तान जैसे देश में इसका एक भयानक रूप देखने को मिल सकता है।
पाकिस्तान में कोरोना का पहला मामला सामने आने के 6 महीने बाद, देश में सक्रिय मामलों की संख्या तेज़ी से घट रही है, इसी के साथ एक दिन में मरने वालों की संख्या केवल एक अंक में रह गई है।
पाकिस्तान में अब तक कोरोना के 293,261 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 6,341 लोगों की जान भी जा चुकी है। जून में पीक पर पहुंचने के बाद, प्रतिदिन सक्रिय मामलों की संख्या तेज़ी से घटकर केवल 10,091 रह गई है।
हालांकि अगले महीने खुलने वाले स्कूलों, बड़े बड़े विवाह समारोहों और धार्मिक आयोजनों को देखते हुए विशेषज्ञों ने दूसरी लहर के प्रति चेतावनी जारी की है।
पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल जिनाह मेडिकल सैंटर में इस समय कोविड-19 के केवल 14 मरीज़ भर्ती हैं, जबकि जून में अस्पताल भरे हुए थे और मरीज़ों की संख्या को देखते हुए पर्याप्त बेड नहीं थे।
कराची की आग़ा ख़ान यूनिवर्सिटी के अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. फ़ैसल महमूद का कहना है कि मरीज़ों की संख्या में कमी, वास्तविक है, इसमें शक की कोई गुंजाइश नहीं है।
यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह कैसे संभव हुआ?
विशेषज्ञों और डॉक्टरों का कहना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। चरणबद्ध तरीक़े से लॉकडाउन, अस्पतालों में प्रभावी प्रबंधन, उपचार प्रोटोकॉल, लोगों के खाने पीने की आदतें और जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक कारक इन परिणामों में प्रभावी हो सकते हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ता और संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अदनान ख़ान का मानना है कि सरकार ने समर्पित कोरोना वायरस निगरानी सेल बनाकर, सूचनाओं और प्रतिक्रियाओं में समन्वय करने में मदद की।
पाकिस्तान की आबादी में युवाओं की अधिक भागीदारी ने भी मृत्यु दर में कमी में अहम भूमिका निभाई है। देश की 22 करोड़ की आबादी में 64 प्रतिशत की उम्र 30 वर्ष से कम है।
पाकिस्तान में कोरोना वायरस के परीक्षण के बाद मरने वाले मरीज़ों का प्रतिशत, 2.16 प्रतिशत है, जबकि ब्रिटेन में 12.7 प्रतिशत, इटली में 13.7 प्रतिशत और फ़्रांस में 11.1 प्रतिशत है।